101 जोड़ो का सामूहिक विवाह का आयोजन गुमला जिला के तेल गांव में

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गुमला : झारखण्ड के गुमला जिला मुख्यालय से आठ किमी की दूरी पर तेलगाव में नवयुवक संघ सामाजिक संगठन के बैनर तले एक सामूहिक शादी कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 101 जोड़ो की शादी कराई गई, जिसमें अधिकांश वैसे लोग थे जो लंबे समय से लिव इन रिलेशन में रह रहे थे. कई लोगो के तो बच्चे भी थे, दरअसल झारखण्ड में एक धुकु की परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसे आज के आधुनिक समय मे लिव इन रिलेशन कहा जाता है. इस परंपरा के तहत लड़का-लड़की जब एक दूसरे से प्रेम करने लगते हैं और अगर परिवार वाले विरोध करने लगे, तो वे एक-दूसरे के साथ पति-पत्नी के रूप में रहने लगते हैन. लेकिन शादी नही होने के कारण उन्हें कई तरह की सामाजिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है.ऐसे जोड़ो के बच्चों को विशेष परेशानी होती है जिसको गंभीरता से लेते हुए रिटायर पुलिस पदाधिकारी जगरनाथ उरांव ने सोचा कि इनकी सामूहिक शादी करवाकर इन्हें सामाजिक मान्यता दिलाई जाए, जिसके बाद उन्होंने विगत चार वर्षों से यह कार्यक्रम शुरू किया है. पूरी धार्मिक रीति-रिवाज के साथ होने वाली इस शादी में समाज के कई लोगो का सहयोग होता है, जिसके बाद यह शादी सम्पन्न होती है. वहीं आदिवासी धार्मिक संगठन की राष्ट्रीय सरना धर्म प्रचारिका चिंतामनी उरांव की मानें तो धुकु कर साथ रहने वालों को सामाजिक प्रताड़ना तो झेलनी पड़ती ही है. उन्हें पैतृक संपत्ति में भी अधिकार नही मिलता है, लेकिन इस तरह से सामाजिक रीति रिवाज के साथ शादी करवा देने से सारी सुविधा मिलती है. इसलिए इस तरह की पहल काफी सराहनीय है. इस सामूहिक शादी कार्यक्रम का नजारा ही देखने लायक था, कई महिलाएं गोद मे मासूम बच्चों को लेकर मौजूद थी, जहां पूरी विधि-विधान के साथ जब उनकी शादी कराई गई तो उनके चेहरे पर खुशी देखते ही बन रहा था. गोद मे मासूम बच्चे को लेकर पहुंची वधु की मानें तो पढ़ाई के दौरान ही उसकी मुलाकात वर से हुई, जिसके बाद प्रेम हो गया और उन लोगो ने जीवन भर साथ रहने की कसम खा ली. लेकिन परिवार वाले तैयार नही हुए जिसके बाद वे लोग पति- पत्नी के रूप में चार साल से रह रहे हैं. उनके दो बच्चे भी हैं, लेकिन उन्हें समाज मे गलत तरह से देखा जाता था लेकिन आज उनकी शादी करवाकर उन्हें सामाजिक मान्यता दी गयी, जिससे वे काफी खुश हैं।
इस कार्यक्रम में शामिल हुए एजाज अंसारी ने कहा कि यह कार्य काफी सराहनीय है, जिससे दो परिवारों के बीच का विवाद समाप्त हो जाता है. साथ ही दम्पति को एक बेहतर जीवन जीने का रास्ता भी मिल जाता है. इस मौके पर मुख्य अतिथि एस डी नायडू, सेवेंथ डे मेटास,रानी पड़हा प्रार्थना सभा और राष्ट्रीय परिचारिका चिंतामणि, संजय उरांव धर्म संचालक ,समीर लकड़ा ,शंकर दयाल उरांव, जीत उरांव पड़हा समाज के महेंद्र उरांव समेत कई लोग मौजूद थे।

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