गुडगांव के आर्टमिस अस्पताल में, न्यूरोलॉजी एवं न्यूरो सर्जरी का इंटिग्रेटेड इलाज की है व्यवस्थाः डॉ सुमित सिंह

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रांची आर्टमिस अस्पताल, गुड़गांव के चीफ न्यूरोलॉजिस्ट एवं पार्किंशन रोग विशेषज्ञ डॉ सुमित सिंह ने कहा कि न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी विशेषज्ञों को साथ मिलकर कार्य करने की जरुरत है।
इसके लिए इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट की व्यवस्था आर्टमिस अस्पताल में की गयी है।। होटल बीएनआर चाणाक्या में आयोजित प्रेसवार्ता में डॉ सिंह ने बताया कि पार्किंशन के मरीज के दिमाग में पेश मेकर लगाया जाता है। पार्किंशन के मरीज का इलाज न्यूरोलॉजिस्ट करते हैं। लेकिन अगर मरीज को सर्जरी की जरुरत होती है तो उसे न्यूरोसर्जन के पास जाना पड़ता है। न्यूरोलॉजी वं न्यूरोसर्जरी के डॉक्टर के पास मरीज को बार बार जाना पड़ता है जिससे समय भी लगता है और पैसा भी ज्यादा देना पड़ता है। इसे देखते हुए इंटीग्रेटेड इलाज की व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा लकवा के मरीज का भी बहुत अच्छे से इलाज किया जाता है।।लकवे से ग्रसित मरीज को पहले एक इंजेक्शन देकर उसके सारे नस को खोल दिया जाता है। आर्टमिस अस्पताल के चीफ न्यूरो सर्जन एवं सीएनएस रेडियोसर्जरी डॉ आदित्य गुप्ता ने बताया कि ब्रेन में स्ट्राक होने से सीवियर हेडेक, बॉडी में लड़खराहट होना लक्षण के मरीज को तत्काल ब्रेन में ब्लड के क्लॉट को तार के माध्यम से निकाला जाता है। इसके अलावा ब्रेन में ब्लड जमा होने पर इंडोस्कोपी से ब्लड को हटाया जाता है। मिर्गी के मरीज के इलाज के पहले एमआरआई कराना जरुरी है इससे मिर्गी के कारण का पता चलता है।
मिर्गी के मरीज में ट्यूमर या एवीएन तो नहीं है। डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि ब्रेन में एक सेंटीमीटर से तीन सेंटीमीटर तक के ट्यूमर का आपरेशन साइबर नाइफ से किया जाता है बशर्ते मरीज को ब्लिडिंग ना हुआ हो और अच्छी अवस्था में हो।
साइबर नाइफ से सर्जरी कराने पर ढाई लाख रुपये खर्च आता है।
न्यूरोसर्जरी में अब ओपन हार्ट सर्जरी नहीं होती है। अब दो इंच का कट कर मिनिमल सर्जरी दूरबीन के माध्यम से की जाती है ।आर्टमिस अस्पताल में इस तरह का इलाज संभव है। इस मौके पर आयोजित सीएमई में झारखंड के डॉक्टरों को न्यूरोलॉजी एवं न्यूरोसर्जरी के अत्याधुनिक इलाज संबंधी जानकारी दी गयी। साथ ही आर्टमिस अस्पताल, गुड़गांव में उपलब्ध न्यूरोलॉजी वं न्यूरो सर्जरी के मरीजों के बेहतर चिकित्सा सुविधा की भी जानकारी दी गयी।

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