प्रभु ने ईश्वरीय परिधान उतार कर मानवता के उत्थान के लिए नम्रता धारण किया: बिशप विंसेंट आइन्द

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रांची: आज से कैथोलिक कलीसिया पुण्य सप्ताह की धर्म विधि में प्रवेश करती है और आज पुण्य वृहस्पतिवार को प्रभु येसु के अंतिम ब्यालु की स्मृति में रांची के लोयोला ग्राउंड में महाधर्माध्यक्ष बिशप विंसेंट आइन्द ने प्रभु येसु का अनुसरण करते हुए प्रतीकात्मक रूप से 12 लोगों के पैर धोए और मिस्सा बलिदान अर्पित किया।
कैथौलिक कलीसिया में पवित्र सप्ताह के पुण्य वृहस्पतिवार या पवित्र वृहस्पतिवार की धर्मविधि विशेष होती हैं। प्रभु येसु ने इस धरती पर पर रहते समय सुसमाचार का प्रचार किया और अपने जीवन के उदाहरण से यह शिक्षा दी कि प्रेम सबसे बड़ा गुण है। उन्होंने अपने शिष्यों के पैर धोए और यह शिक्षा दी कि हमें भी एक दुसरे की सेवा करना है। उनकी शिक्षा ” मैंने गुरु होकर भी तुम्हारे पैर धोए वैसे ही तुम भी एक दुसरे की सेवा करो। ” आज के धर्मविधी में प्रभु येसु की यही शिक्षा चरम सीमा तक पहुंचती हैं। साथ ही यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज ही के दिन प्रभु येसु ने पुरोहित संस्कार की स्थापना की। इस समारोह की अगुवाई आर्चबिशप विंसेंट आइन्द ने की। आज की संपूर्ण धर्म विधि एवं धर्म ग्रंथ के पाठों का मुख्य केंद्र बिंदु प्रभु और पड़ोसी का प्रेम होता है।
मिस्सा बलिदान के दरम्यान आर्चबिशप विंसेंट आइन्द ने अपने प्रवचन में कहा कि: प्रभु ने ईश्वरीय परिधान उतार कर मानवता के उत्थान के लिए नम्रता धारण किया और यह शिक्षा और प्रेरणा दिया की हमें भी अपने औधे और अधिकार त्याग कर नम्रता धारण कर सेवा करना है। साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे पहली मिस्सा के मध्य यूदास विनाश और स्वार्थ लाभ के बारे में सोचता रहा वैसे हमें भी सावधान रहना है कि हम शैतान के जाल में न फंसे बल्कि प्रभु की अशीष से नम्रता धारण कर एक दूसरे की सेवा करें। इस समारोह के अवसर पर रांची के आर्चबिशप विंसेंट आइन्द के अलावा फाo आनंद डेविड खलखो, फाo अजय कुमार खलखो,फाo अंजलुस एक्का, फाo विनय केरकेट्टा, फाo जॉर्ज मिंज, फाo बिपिन तोपनो साथ ही अन्य 35 पुरोहित एवं रांची के हजारों की संख्या में ख्रीस्त विश्वासी शामिल हुए।

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