रांची कन्वेंशन सेंटर, दरभंगा हाउस राँची में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ योग मैनेजमेंट, सेंट्रल कोलफील्ड, राँची तथा ओशोधारा केंद्र रांची द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सत्संग तथा आनंद प्रज्ञा के पहले दिन समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया द्वारा ‘ आनंदित जीवन कैसे जिएं ‘ विषय पर सत्संग संपन्न हुआ। समर्थगुरू ने सहज शब्दों में आज के उलझन भरे जीवन को सुलझाते हुए आनंद पूर्वक जीने के लिए मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया हमारे भीतर हमारी आत्मा ही कोहिनूर हीरा है जो आनद का स्रोत है। हम आत्मा हैं यही परम सत्य है। और उसे जानने के बाद दुख टिक नहीं सकता। उन्होंने गौतम बुद्ध के आठ अध्यायों को सरलता से समझाया जो जीवन को आनंद में बदलने का मंत्र है। सम्यक दृष्टि, सम्यक वाणी , सम्यक संकल्प, सम्यक स्वीकार आदि की चर्चा की तथा कुछ देर के लिए ध्यान का प्रयोग भी करवाया।उन्होंने पश्चिम के विचारकों की भी चर्चा की और बताया कि शिकायत से अहोभाव की यात्रा ही अध्यात्म है।प्रेम की शक्ति जितनी बढ़ती जाती है , जीवन से नकारात्मकता गायब होती जाती है। कार्यक्रम में शहर के बुद्धिजीवी , गणमान्य और जन साधारण विशाल संख्या में उपस्थित थे।