रांची संयुक्त ट्रेड यूनियनों के देशव्यापी अभियान के तहत राजभवन के समक्ष महापड़ाव में हजारों की संख्या में जुटकर मजदुरों ने केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ़ जोरदार आवाज़ बुलन्द किया।
कोयला, स्टील ,पॉवर, एचईसी निर्माण और असंगठित क्षेत्र के मजदूर बड़ी संख्या महापड़ाव कार्यक्रम में शामिल हुए। मजदूरों ने एक स्वर से कहा की देश की सार्वजनिक सम्पत्ति को निजी हाथों में बेचना देश भक्ति नहीं बल्की देश के साथ गद्दारी है। केंद्र सरकार सरकार की राष्ट्र विरोधी उधोग विरोधी और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जबर्दस्त हूंकार अब 24 अगस्त को देश के मजदूर और किसान मिलकर दिल्ली में हुंकार भरेगें।
मजदूर महापड़ाव का उद्घाटन एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने की उन्होंने कहा की केंद्र सरकार राजनीतिक फायदे के लिए देश में विनाशकारी और विभाजनकारी नीतियां अपना रही है जो देश के लिए घातक है। मजदूरों की जिंदगी में आफत पैदा करने वाली सरकार की बिदाई करना ही अब अन्तिम रास्ता उपाय है।
इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडे,ने कहा कि मजदूरों को जाति और धर्म में विभाजित करने की मूल मंत्र अंग्रेजो से सीखा है, हमारे कारखाने ओर खदान ही मंदिर मस्जिद हैं। इनकी इबादत से ही देश की तरकी सुनिश्चित है।
ऐक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने कहा कि मोदी जी के देश की तरक्की का आइना है एचईसी जहां 18 महीने से मजदुर वेतन के लिए तरस रहे हैं। चंद्रयान की उपलब्धियां गिनाने वाली सरकार को इनके लॉन्चिंग पेड़ बनाने वाले एचईसी कर्मियों की वेतन भूगतान की भी चिंता करनी होगी।
सीटू के प्रदेश महासचिव विश्वजीत देब ने कहा की श्रम कानूनों को खत्म किया जाना कॉरपोरेट कंपनियों से लिए इलेक्ट्रॉल बॉन्ड के बदले दिया गया उपहार है। चार लेवर कोड मजदूरों की गुलामी का दस्तावेज है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता 6 सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने की जिसमें ,इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडे, एटक के पी. के. गांगुली, सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष भवन सिंह, एक्टू के शुभेंदु सेन, एचएमएस के आर.के.वर्मा एवं एआईयूटीयूसी के आर के तिवारी ने किया जबकि कार्यक्रम का संचालन अनिर्बान बोस ने किया।
राजभवन पर आयोजित महापड़ाव कार्यक्रम को सीटू के महासचिव प्रकाश विप्लब, आरपी सिंह, संजय पासवान, एक्टू के भुवनेश्वर केवट, बैजनाथ मिस्त्री, डीएस दिवाकर , पॉवर सेक्टर से विकास कुमार सिंह और विभिन्न स्वतंत्र महासंघों से, अविजित मल्लिक, सुब्रत बिस्वास, प्रतीक मिश्रा और और विभिन्न स्वतंत्र महासंघों से, अविजित मल्लिक, सुब्रत बिस्वास, प्रतीक मिश्रा आदि ने संबोधित किया।
महापड़ाव कार्यक्रम के पश्चात नियुक्त दंडाधिकारी को विभिन्न ट्रेड यूनियनों के मांग पत्र सौंपा। जिसमें
“चार मजदूर विरोधी लेबर कोड को रद्द करना, किसानों के लिए वैधानिक एमएसपी सुनिश्चित करना , विनिवेश और एनएमपी के प्रयासों को समाप्त करना, बिजली संशोधन विधेयक एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति वापस करना, अनौपचारिक क्षेत्र के कामगार , ठेकेदार कामगार एवं स्कीम वर्करों के लिए कानूनी तथा सामाजिक सुरक्षा , समान काम के लिए समान वेतन, शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी तथा मनरेगा की मजबूतीकरण सुनिश्चित करना, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करना, पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कम करना, मूल्य वृद्धि पर रोक लगाने के साथ-साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए अमीर और कॉर्पोरेट पर उच्च कर लगाने तथा जन सुविधाओं के क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के मांगों को दोहराया गया”।
राष्ट्रहित में, एकता ,भाईचारा , सांप्रदायिक सद्भाव एवं सौहार्दपूर्ण सुनिश्चित करने , कल्याण बोर्डों की निधियों का पारदर्शी संचालन तथा एन.आई.एक्ट के तहत मजदूर दिवस पर 1 मई को छुट्टी आदि मांगें शामिल है।
इस कार्यक्रम में इंटक, एटक, सीटू, ऐक्टू, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, यूटीयूसी आदि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ – साथ बैंक, बीमा, डाक, बीएसएनएल, सरकारी कर्मचारियों आदि के स्वतंत्र फेडरेशन की कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया ।
महापड़ाव स्थल पर आयोजित सभा को, इंटक के श्री संजीब सिन्हा ,उषा सिंह, लीलाधर सिंह, महेंद्र मिश्रा, एटक के अशोक यादव, अम्बुज ठाकुर,सुनीता कुमारी,रामश्रय सिंह एक्टू के भीम साहू , जे एन सिंह, एस के राय समेत विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने संबोधित किया।
भुवनेश्वर केवट, संयुक्त ट्रेड यूनियनों की ओर से