रांची। पोक्सो एक्ट (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम) को कारगर तरीके से लागू करने और इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए व्यापक तौर पर जन जागरूकता की जरूरत है। उक्त बातें ख्यातिप्राप्त गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्था कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन से जुड़ीं अधिवक्ता यशस्विनी सहाय ने कही। सुश्री सहाय मंगलवार को होटल रेडिसन ब्लू में पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। उन्होंने झारखंड में बाल श्रम, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, यौन अपराध व यौन उत्पीड़न आदि समस्याओं की स्थिति और इसके समाधान की दिशा में संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की चर्चा की।
सुश्री सहाय ने कहा कि देश में बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए यौन अपराध,यौन उत्पीड़न तथा पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2012 में प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट बनाया गया।
लेकिन जागरूकता के अभाव में इस कानून का सफल कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है।
हालांकि सरकारी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों के अलावा गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पोक्सो एक्ट को प्रभावी बनाने की दिशा में प्रयास जारी है।
उन्होंने कहा कि झारखंड पूरे देश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग और बाल श्रम के मामले में चर्चित है।
यहां अधिकतर लोग जागरूकता के अभाव में यौन अपराधों के खिलाफ बने कानूनों का फायदा नहीं उठा पाते हैं।
सुश्री सहाय ने कहा कि कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन से जुड़कर वह पोक्सो एक्ट के सफल कार्यान्वयन के लिए प्रयासरत हैं।
उन्होंने झारखंड के कई शैक्षणिक संस्थानों,स्कूलों सहित अन्य संस्थानों का भ्रमण कर पोक्सो एक्ट से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
इस क्रम में संतोष कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेंनिंग एंड एजुकेशन तुपुदाना, शाइन अब्दुर्रज्जाक अंसारी इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर, इरबा, रांची इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट, हरमू हाउसिंग कॉलोनी सहित शहरी क्षेत्र के चुटिया, ग्रामीण क्षेत्र के अंतर्गत अनगड़ा, ओरमांझी, नगड़ी, सोनाहातु सहित अन्य कई सुदूरवर्ती गांवों का दौरा किया। यौन उत्पीड़न व यौन अपराध की रोकथाम और पोक्सो एक्ट के बारे में लोगों को जागरूक किया।
उन्होंने बताया कि झारखंड में 2019 से अब तक मात्र 1324 घटनाएं पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज की गई है। पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में 239, वर्ष 2020 में 306, वर्ष 2021 में 284, वर्ष 2022 में 338 और 2023 में जून तक 157 मामले दर्ज हुए हैं।
सुश्री सहाय ने बताया कि पूरे देश में झारखंड में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के सबसे अधिक मामले उजागर होते हैं। राज्य के पांच जिलों (दुमका, साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा और जामताड़ा) में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के सबसे अधिक मामले पाए गए।
उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न, यौन अपराध, ह्यूमन ट्रैफिकिंग व बाल श्रम आदि रोकने के लिए बने कानूनों को कारगर तरीके से लागू करने की जरूरत है। इस दिशा में वह प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में जाकर छात्र-छात्राओं के बीच पोक्सो एक्ट की जानकारियां देना, पीड़ितों को कानून का संरक्षण लेने के लिए प्रोत्साहित करना, यौन अपराध के अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने और पीड़ितों को यथाशीघ्र न्याय दिलाने के लिए पोक्सो एक्ट के कार्यान्वयन के प्रति जागरूक करना इस मिशन का मुख्य उद्देश्य है।
उन्होंने कहा कि यौन अपराधों के अधिकतर मामले जागरूकता के अभाव में दब जाते हैं। पीड़ित व्यक्ति या उनके परिजन थाने में जाकर प्राथमिकी दर्ज कराने के प्रति उदासीन रहते हैं। इससे अपराधियों का मनोबल बढ़ता है। उन्होंने कानूनी सहायता प्रदान करने वाली संस्थाओं से भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग, बाल श्रम और यौन अपराध रोकने की दिशा में उचित कदम उठाने की अपील की। सुश्री सहाय ने कहा कि विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर बढ़ाने, कानूनी प्रावधानों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सामाजिक संस्थाओं के अलावा मीडियाकर्मियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पीड़ितों को यथाशीघ्र न्याय मिले, इस दिशा में सरकारी स्तर पर विशेष न्यायालय का गठन, फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन, साइबर क्राइम की ऑनलाइन प्राथमिकी का प्रावधान व यौन अपराध रोकने के लिए बने कानूनों को प्रभावी करने की आवश्यकता है।
सुश्री सहाय ने पोक्सो एक्ट का लाभ पीड़ितों को दिलाने की दिशा में उच्चतम न्यायालय और मुंबई हाई कोर्ट के निर्णय का भी हवाला दिया।