9 मई 2025 को पोप लियो १४वे ने रोम के सिस्टीन चैपल में कार्डिनल्स के साथ पहला मिस्सा संपन्न किया। यह मिस्सा उनके पोप चुने जाने के अगले दिन हुआ, जब उन्हें चौथे मतदान में दो-तिहाई बहुमत से 267वां पोप चुना गया।
अपने प्रवचन में अमेरिका में जन्मे पोप ने मसीह के प्रति व्यक्तिगत संबंध को गहरा करने का आह्वान किया और चेताया कि “जहाँ आस्था नहीं होती, वहाँ जीवन का अर्थ खो जाता है।” उन्होंने कार्डिनलों से आह्वान किया कि वे सुसमाचार का प्रचार करते हुए मसीह में विश्वास की खुशी को साझा करें।
पोप लियो ने संत पतरस के शब्दों “तू मसीह है, जीवित परमेश्वर का पुत्र” को उद्धृत करते हुए चर्च की दो हजार साल पुरानी परंपरा की याद दिलाई। उन्होंने आज की दुनिया में आस्था के प्रति उपेक्षा को चिन्हित करते हुए कहा कि ऐसे स्थानों में गवाही देना और भी जरूरी हो जाता है।
उन्होंने मिशनरी सेवा, व्यक्तिगत रूपांतरण और मसीह में विश्वास की नित्य यात्रा को चर्च की प्राथमिकता बताया। अंत में उन्होंने प्रार्थना की कि वे मसीह के लिए स्वयं को न्यौछावर कर सकें और उनके माध्यम से चर्च को नेतृत्व प्रदान करें।