अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम

Spread the love

आदिवासी समुदायों का स्वास्थ्यः जमीन पर काम करने के अनुभव और सीख

राँची : अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय ने रची में ‘आदिवासी समुदायों का स्वास्थ्यः जमीन पर काम करने के अनुभव और सीख नाम के कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह कार्यक्रम दो दिनों तक चलेगा। पिछले कुछ दशकों में आदिवासियों के स्वास्थ्य और सेहत में काफी सुधार देखा गया है, लेकिन फिर भी दूसरे समुदायों के मुकाबले आदिवासी समुदायों का स्वास्थ्य कई मानकों पर बहुत पीछे है। पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि आदिवासी समुदायों के स्वास्थ्य के हालात काफी नाजुक हैं। इन तक स्वास्थ्य सेवाएँ भी सीमित मात्रा में ही पहुंच पाई हैं। साथ ही आदिवासी समुदायों में टीकाकरण, प्रसव की सुविधाएँ व उसके बाद की देखभाल जैसी मूलभूत सेवाएँ भी बड़े ही मुश्किल से पहुँच रही हैं। इसके अलाबा, आदिवासियों में एनीमिया, बच्चों में कुपोषण के साथ-साथ कई गैर-संचारी बीमारियाँ अन्य समुदायों से कहीं ज्यादा है।
इस कार्यक्रम में जमीनी स्तर पर काम करने वालों ने अपने अनुभवों और सौखे गए महत्त्वपूर्ण मुद्दों को साझा किया। कार्यक्रम में आदिवासी समुदायों की स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताएँ, चुनीतियों और उनके समाधान पर भी चर्चा की गई. कार्यक्रम में देश भर से लगभग 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में आदिवासी समुदायों के स्वास्थ्य पर काम करने बाले नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों, इन समुदायों का इलाज करने वाले अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के सदस्य समेत अन्य लोग भी शामिल हुए।
कार्यक्रम में आदिवासी समुदाय के स्वास्थ्य से जुड़े व्यापक मुद्दों पर परिचचर्चाएँ हुई। कार्यक्रम में हमने आदिवासी समुदाय के स्वास्थय के मौजूदा हालात और भविष्य में इसकी दिशा जैसे विषयों पर चर्चा आयोजित की। साथ ही हमने समुदाय के स्वास्थ्य पर काम करने बाले स्वास्थ्य कर्मियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में काम करने वाले कर्मचारियों के नज़रिए व विचारों को भी समझने की कोशिश की। स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों में सांस्कृतिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए किस तरह की कोशिश की जा सकती है.
आदिवासी समुदाय के स्वास्थ्य पर काम कर रहे 25 से ज़्यादा संगठनों ने पोस्टर प्रदर्शनी में हिस्सा लिया। इन संगठनों ने अपने अनुभवों, काम करने के अपने रचनात्मक व रोचक तरीकों, स्वास्थ्य समस्याओं को सुलझाने की स्थानीय पद्धतियों, समुदायों में काम
करने की चुनौतियों और उनके समाधान पर पोस्टर प्रदर्शित किए।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय ने ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य पर संवाद’ (डायलॉग्स इन पब्लिक हेल्थ) नाम से कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शुरु की है। यह इस शृंखला का पहला कार्यक्रम है। हमारी कोशिश इस श्रृंखला को जमीनी स्तर काम करने वाले लोगों के बीच अनुभवों, ज्ञान और सीख के आदान-प्रदान का मंच बनाने की है।
अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन सामुदायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र के क्षेत्र में काम करने और सबसे कमजोर तबकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर काम करने का नज़रिए रखता है। अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन का बुनियादी मकसद सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को सभी स्तरों पर बेहतर बनाने में मदद करना है। इस नजरिए से फाउण्डेशन सामुदायिक स्वास्थ्य, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सेकेंडरी स्वास्थ्य सेवाओं जैसी स्वास्थ्य संस्थाओं के कामकाज को बेहतर बनाने और उनकी क्षमता बढ़ाने की लगातार कोशिश करता है। जमीनी स्तर पर काम करने के अलावा, फाउण्डेशन शिक्षा के जरिये सार्वजनिक स्वास्थ्य में काम करने के लिए कुशल, जानकारी से लैस और समर्पित कर्मचारी बनाने का भी काम करता है। राँची में जल्द ही शुरू होने जा रहे अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में एक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल भी होगा, जहाँ मेडिकल, नर्सिंग और स्वास्थ्य से जुड़े कोर्सेस होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *