सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे की परमिशन दे दी है. वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफ़ा अहमदी का कहना है कि सर्वेक्षण की पूरी कार्यवाही सीलबंद रखी जानी चाहिए. यदि कुछ भी जारी किया जाता है तो उसमें समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
ज्ञानवापी पर सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि आखिर हम इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश मैं दखल क्यों दे? ASI के भरोसे के बाद अदालत ने यह आदेश दिया था. इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा, हमने लिखित दलील में अतिरिक्त जानकारी दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने हमे सुना नहीं. सीजेआई ने कहा कि हम प्रक्रिया के इस चरण में क्यों दखल दें? आप सारी दलीलें तो सुनवाई के दौरान दे चुके हैं. अयोध्या मामले में भी तो एएसआई ने सर्वेक्षण किया था. क्या दिक्कत है! सर्वे का तथ्यात्मक सबूत तो अदालत तय करेगी कि फाइनल सुनवाई के दौरान कौन सा तथ्य, सबूत और रिपोर्ट का कौन सा हिस्सा सुनवाई का हिस्सा बनाया जाए और कौन सा नहीं.
कोर्ट ने कहा कि आप एक ही ग्राउंड पर हर बार हरेक कार्रवाई पर रोक का आग्रह नहीं कर सकते. CJI ने कहा कि वो मुख्य सूट, जिसमें सूट की वैधानिकता पर सवाल उठाए गए है उस याचिका पर नोटिस जारी करते हैं. सीजेआई ने कहा , हम सभी पहलुओं पर सुनवाई करेंगे. लेकिन हम सर्वे के आदेश पर दखल क्यों दे?