रांची रांची से लापुंग की ओर से 60 किलोमीटर की दूरी पर गढ़ालोधमा और कुरकुरिया जंगलों में बसे दो गांव हैं। कई दशकों से, इन गांवों के आसपास के जंगल माओवादियों की उपस्थिति का केंद्र रहे हैं, लोग गरीब बने हुए हैं और क्षेत्र पिछड़ा हुआ है।
दोनों गांवों में अक्सर जंगली जानवरों के हमले होते रहते हैं। इस साल 13 अगस्त को 6 लोगों पर जंगली भालू ने हमला किया था । हालांकि, कैथोलिक चर्च के फादर और सिस्टर वर्षों से इस क्षेत्र में प्रेम और समर्पण के साथ सेवा कर रहे हैं। इस स्वतंत्रता दिवस पर, आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो एस.जे. और बिशप थियोडोर मस्कारेन्हास एस.एफ.एक्स. ने पुरोहितों के साथ इन दोनों गांवों के दो स्कूलों का दौरा किया और उन्हें स्कूल बैग, पेंसिल, इरेज़र, शार्पनर, रंगीन पेंसिल, पेंसिल बॉक्स और ज्योमेट्री बॉक्स से युक्त शैक्षणिक किट वितरित की। सेंट पॉल द एपोसल स्कूल, गढ़ालोधमा में 487 बच्चे और सेंट ल्यूक द इवेंजेलिस्ट स्कूल, कुरकुरिया में 382 बच्चों के बीच यह सामग्री वितरित किया। विशेष स्वतंत्रता दिवस की पूर्व दिन के समारोह में मांडर की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की मुख्य अतिथि थीं। छात्रों को अपने संदेश में उन्होंने उन्हें कड़ी मेहनत करने और जीवन में कुछ बनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हम अपनी सुदूर क्षेत्र में निवास करने के बावजूद जो चाहें बन सकते हैं, बशर्ते हमारे पास ऐसा करने की इच्छाशक्ति हो। आर्चबिशप फेलिक्स ने बच्चों को याद दिलाया कि उनमें क्षमता है और उन्हें आदर्श नागरिक बनने के लिए काम करना चाहिए। बिशप थियोडोर ने बच्चों को समझाया कि हम सभी भाई-बहन हैं और हमें कभी भी जाति, पंथ या धर्म के आधार पर खुद को विभाजित नहीं करना चाहिए। समारोह का समापन राष्ट्रगान के गायन के साथ हुआ। फादर आशित टोप्पो एवं फादर बिनय केरकेट्टा ने वितरण की व्यवस्था की। फादर आसीम मिंज, फादर सुशील बेक, फादर वाल्टर किस्पोट्टा के अलावा स्कूल के दो प्राचार्य फादर शिशिर सुरीन एवं फादर राजेंद्र खाखा सहित विद्यालय की सिस्टर्स एवं शिक्षकगण भी उपस्थित थे। भारत माता की जय के जोरदार उद्घोष के साथ समारोह का समापन हुआ ।