राँची: झारखण्ड की जीवनधारा कही जानेवाली स्वर्णरेखा नदी को प्रदूषणमुक्त करने एवं इस प्रदूषण से विस्मृत हो रहे इक्कीसो महादेव के 21 शिवलिंगों को संरक्षित करने के उद्देश्य से स्वर्णरेखा उत्थान समिति के आह्वान पर करीब 400 कांवरियों ने नंगे पांव पैदल चलकर लोगों से से नदी को बचाने की अपील की। स्वर्णरेखा के उद्गम स्थल नगड़ी के रानीचुआं से चुटिया स्थित इक्कीसो महादेव तक 21 किलोमीटर की पैदल कांवर यात्रा का उत्साह देखने लायक था। कंकड़ीले रास्तों और कड़ाके की धूप ने भी कांवरियों का उत्साह कम नहीं होने दिया।
कावंरियों ने रानीचुआं के धान के खेत में फिसलन भरी मेड़ों से होकर रानीचुआं में पवित्र जल भर कर कांवर यात्रा की शुरूआत की और 21 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर के शाम को चुटिया स्थित 21 महादेव के 21 शिवलिंगों में जलाभिषेक किया।
पड़ाव स्थलों पर कांवरियों का हुआ भव्य स्वागत
इस यात्रा में चार पड़ाव स्थल बनाए गए थे। नगड़ी स्थित स्वर्णरेखा बैंक्वेट हाॅल, कटहल मोड़, अरगोड़ा के बुढ़ा महादेव और क्लब रोड स्थित सिटी सेंटर में कांवरियों का भव्य स्वागत किया गया। कांवरियों के लिए सभी स्थानों पर पानी, चाय, फल, मिठाई एवं विश्राम की व्यवस्था की गई थी। पूरे रास्ते में जगह जगह पर लोगों ने पानी, शरबत और पुष्प वर्षा कर कांवरियों का स्वागत किया। उक्त यात्रा में कांवरिए हाथों में नदी बचाने की अपील और जागरूकता संबंधी तख्तियां लिए हुए थे। स्वर्णरेखा को डस्टबिन नहीं बनाने की अपील करते हुए समिति के सदस्यों ने शहरवासियों से अपील की कि वो अगर आज स्वर्णरेखा को नहीं बचाया गया तो आनेवाले दिनों में स्वर्णरेखा भी हरमू नदी की तरह एक नाला बनकर रह जाएगा।
उक्त कांवर यात्रा को सफल बनाने में विकास जयसवाल, नीरज सिंह, दीपेश पाठक, मखन पाठक, गौतम देव, मनोज महतो, नंदकिशोर, पिया बर्मन, जयनाथ पाण्डेय, डॉ. सुमन दुबे, बिप्लव विश्वास, संजय बोस, विवेक राज एवं सभी सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।