रांची, , मेदांता रांची के कार्डियक सर्जन डाॅ. बालामुरली और 10 विशेषज्ञों की टीम के सफल प्रयास से मरीज की जान बच पाई। 55 वर्षीय मरीज को पिछले कुछ वक्त से सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। उन्होंने विभिन्न अस्पतालों के चक्कर लगाए लेकिन कुछ खास नतीजे नहीं आए। डॉक्टरों ने उन्हें विभिन्न तरह की दवाइयां दी, जिनसे उनका दर्द कम हो जाता था, लेकिन वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो पा रहे थे। आखिर में वह मेदांता रांची आए, जहां डॉक्टरों ने उनके लक्षणों को देखते हुए पहले एक्स-रे और इको करवाया। इको रिपोर्ट्स में उन्होंने पाया की मरीज के सीने में कैल्सीफाइड और स्टेनोटिक बाईकसपिट आओर्टिक वाल्व है जो की सामान्य लोगो में ट्राइकसपिड होते है। मेदांता रांची के कार्डियक सर्जन डॉ. बालामुरली ने बताया कि सीने के एक्स-रे में एक फैली हुई आरोही महाधमनी (Ascending Aorta) भी दिखाई दी। CT-Aortagram के जरिए पता चला आओर्टा (सबसे बड़ी रक्त वाहिका जो सीधे हृदय से जुड़ी होती है) भी बढ़ी हुई थी जिसे हम मेडिकल की भाषा में एन्युरिज्म कहते है। जिसके बाद 14 अगस्त को मरीज का ऑपरेशन किया गया। उनके वाल्व को बदल दिया गया और उनकी आरोही महाधमनी, जिसमें एन्यूरिज्म था उसे भी बदल दिया गया। इस ऑपरेशन में करीब 6 घंटे का समय लगा, जिसमें विभिन्न विभागों का सहयोग रहा। ऑपरेशन को लीड कर रहे मेदांता रांची के कार्डियक सर्जन डॉक्टर बालामुरली ने बताया कि ऐसी स्थिति में जान को काफी खतरा होता है। लेकिन हर तरह की सावधानी को ध्यान में रख कर इस ऑपरेशन करीब 10 विशेषज्ञों की टीम के सहयोग के साथ इसे सफल बनाया गया, जिसके बाद मरीज को सात दिनों में डिस्चार्ज कर दिया गया।
अस्पताल के डायेरक्टर विश्वजीत कुमार ने बताया कि मेदांता रांची की पहली प्राथमिकता उसके मरीज है। हमारी कोशिश होती है कि मरीज तक हर बेहतर स्वास्थ सेवाएं पहुंचाई जा सके, साथ ही उन्होंने बताया कि मेदांता रांची के कार्डियक विभाग के पास हर जटिल उपचार सेवाएं अनुभवी विशेषज्ञों के द्वारा उपलब्ध है।