रांची, मेदांता अब्दुर रज्जाक अंसारी मेमोरियल वीवर्स हॉस्पिटल, रांची में 55 वर्षीय एक व्यक्ति का जटिल और उच्च-जोखिम वाला ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया, जिसकी कोरोनरी धमनियों में 100% ब्लॉकेज था। यह ऑपरेशन हॉस्पिटल के कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. बालामुरली श्रीनिवासन ने अपनी टीम के साथ, जिसमें डॉ. सौरभ कुमार भी शामिल थे, किया था।
मरीज को सांस लेने में भीषण तकलीफ और छाती में दर्द हो रहा था, जिसके लिए उसे ऑक्सीजन की जरूरत थी। ईसीजी, इको और एंजियोग्राम टेस्ट हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विनीत कुमार ने किया था ,जिन्होंने सांस लेने में तकलीफ को कम करने के लिए दवा भी दी थी।
ऑपरेशन में माइट्रल वाल्व को बदलना, एंडार्टेरेक्टमी करना और बाइपास सर्जरी करना शामिल था ताकि हृदय में रक्त प्रवाह सुचारू रूप से बहाल किया जा सके। डॉ. श्रीनिवासन ने बताया, “मरीज की कोरोनरी धमनियों में 100% ब्लॉकेज था, और माइट्रल वाल्व भी सिकुड़ गया था। उसका हृदय केवल 25% क्षमता पर काम कर रहा था। हमने वाल्व बदला, एंडार्टेरेक्टमी की और बाइपास सर्जरी कर उसकी जान बचाई।”
मरीज को 15 दिनों के बाद पूरी तरह से ठीक हो गए जिसके बाद अस्पताल से उन्हें छुट्टी दे दी गई। डॉ. श्रीनिवासन ने कहा, “ऑपरेशन जटिल और उच्च-जोखिम वाला था, लेकिन हम सफल परिणाम से खुश हैं।” उन्होंने बताया कि कई एंडार्टेरेक्टमी का सफल परिणाम नहीं होता है, लेकिन उन्हें इस मामले में आशा थी और सफलता मिली।
एंडार्टेरेक्टमी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें धमनी की दीवार में जमा हुए एथेरोमैटस प्लाक मैटेरियल या ब्लॉकेज को हटाया जाता है। यह धमनी की दीवार से प्लाक को अलग करके किया जाता है।