रांची : स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग, झारखंड और कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन्स ऑफ इंडिया और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सौजन्य से झारखंड हृदय समागम- कार्डियोलॉजी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है।
22 से 23 दिसंबर तक चलने वाले इस दो दिवसीय समागम में देश- विदेश से 400 से हृदय रोग विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं।
विकास आयुक्त सह अपर मुख्य सचिव श्री अरुण कुमार सिंह ने इस समागम की तारीफ करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से विचारों का आदान-प्रदान होगा और मेडिकल के क्षेत्र में नए आयाम बनेंगे।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टरों को बहुत कम ऐसे मौके मिलते हैं कि वे एक दूसरे से मिले और अपने अनुभव को साझा करें, अपनी समस्याओं पर बात करें। यह मंच उन्हें मौका दे रहा है कि अनुभवी हृदय विशेषज्ञों के अनुभव को सुनें, जानें और उसे अपनी प्रैक्टिस में शामिल करें, जिससे मेडिकल के क्षेत्र में नए इनोवेशन हो और लोगों को इसका लाभ मिले।
कार्यक्रम के पहले दिन शुक्रवार को वैज्ञानिक सत्र में Evaluation in Cardiovascular Diseases, Heart Failure, Rhythm Disorder और Congenital Heart Disease विषय पर पीपीटी के माध्यम से चर्चा की गयी।
डॉ. कुणाल सरकार ने झारखंड के संदर्भ में Heart transplant- Journey from dream to reality(हृदय प्रत्यारोपण- सपने से हकीकत तक का सफर) के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, अन्य महानगरों की तरह रांची जैसे शहर में भी हृदय प्रत्यारोपण केंद्र की आवश्यकता है, ताकि लोगों को सही समय पर सही इलाज मिल सके।
समागम में पुलिस जवानों को दिल की बंद हो चुकी धड़कन को दोबारा शुरू करने की तकनीक की भी जानकारी दी गई।कोलकाता से आए एक्सपर्ट ने पुलिस के जवानों को डमी मॉडल पर सीपीआर देने के सही तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रति मिनट 100 बार छाती पर एक खास स्थान पर 1-2 इंच का दबाव बनने जितना प्रेशर देकर दबाना है। हर 30 दवाब के बाद बीमार व्यक्ति को कैसे माउथ टू माउथ दो बार कृत्रिम सांस देना है, इसकी भी जानकारी दी गयी।