माही के अंतर्गत शैक्षिक व सांस्कृतिक मेले का भव्य आयोजन

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राँची: मौलाना आजाद ह्यूमेन इनिशिएटिव “माही” के अंतर्गत मौलाना आजाद की 134वीं जयंती के शुभ अवसर पर कडरु स्थित हज हाउस में शैक्षिक व सांस्कृतिक मेले का आयोजन किया गया। मंच का संचालन ज़िकरा व काशिफ़ा ने किया और कार्यक्रम की अध्यक्षता माही के संयोजक इबरार अहमद ने किया। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय बतौर मुख्य अतिथि और जे०एम०एम० के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, काँग्रेस नेता अजय नाथ शाहदेव,महावीर मंडल के जय सिंह यादव,बुद्धिष्ट महासभा के जैनेन्द्र कुमार,समाजी कार्यकर्ता जय शंकर चौधरी, सुल्तान ज़ुबैर विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। माही के जुनैद अनवर ने अतिथियों को स्वागत किया एवं मौलाना आजाद के जीवनी और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। माही के प्रवक्ता मुस्तक़ीम आलम ने माही के उपलब्धियों और लक्ष्यों को बताया।
कार्यक्रम का उद्घाटन मेहमानों बैलून उड़ाकर किया।कार्यक्रम की विधिवत शुरुवात तेलावाते क़ुरान से किया गया। इसके बाद पद्मश्री मधु मंसूरी ने अपने लोक गीतों से उत्साह का संचार किया। मुख्य अतिथि सुबोधकांत सहाय ने अपने संबोधन में कहा कि मौलाना आजाद स्वतंत्रता आंदोलन के एक मजबूत स्तंभ थे। भारत के आजादी में उनके योगदान को भुलाया नही जा सकता। वह आधुनिक शिक्षा के पितामह थे। भारत मे उच्च शिक्षा और आधुनिक तकनीक पर आधारित शिक्षा के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने सही कहा था कि सही अर्थों में स्वतंत्र और मानवीय मूल्यों से भरपूर शिक्षा ही लोगों में क्रांतिकारी परिवर्तन का कारण बन सकता है और उन्हें विकास की ओर अग्रसर कर सकता है। वह महात्मा गाँधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे और हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्षधर थे। वह धर्म आधारित राजनीति और धार्मिक कट्टरता के घोर विरोधी थे। 1916 से 1919 तक अपने निर्वासित जीवन राँची में बिताया और हिन्दू मुस्लिम एकता पर अतुलनीय काम किया। निर्वासित जीवन के समय इन्होंने अधिकतर समय अग्रवाल परिवार के अपर बाजार स्थित आवास में ही बिताया और कई पुस्तकों की रचना की। माही ने उनकी जयंती पर भव्य शिक्षा और सांस्कृतिक मेला लगाकर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है। माही और इबरार अहमद का प्रयास ने उनके सपनों को जीवित कर दिया। इस कार्यक्रम में दर्जनों स्कूलों के सैंकड़ों बच्चों ने अपने हुनर, अपनी प्रतिभा से भावविभोर कर दिया। छोटे-छोटे बच्चों ने अपने सार्थक प्रयासों से साइंस प्रदर्शनी को लाजवाब बना दिया। मकहि का ये शिक्षा और सांस्कृतिक मेला राज्य के लिए संगे मिल साबित होगा।
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि माही ने कम संसाधनों में जो काम किया है उसकी कोई दूसरी नज़ीर नही है। शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मेला का आयोजन प्रतिभाओं को निखारने के काम करेगा। बच्चों में जोश व उत्साह, कुछ करने के प्रति जुनून पैदा करता है। इस तरह का आयोजन समाज को प्रेरित करता है। शिक्षा के प्रति माही का समर्पण समाज को बेहतर परिणाम देगा जो समाज मे फैली विषमताओं को समाप्त करेगा। माही के संयोजक इबरार अहमद ने शिक्षा के प्रति जो समर्पण दिखाया है वो बेमिसाल है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में माही के संयोजक इबरार अहमद ने कहा कि माही का लक्ष्य समाज के वंचित बच्चों को स्कूलों से जोड़ना, उनकी प्रतिभाओं को निखारना, संवारना और शिक्षा के प्रति दिलचस्पी पैदा करना है। माही ने सैकड़ों बच्चों के लिए तमाम संसाधन जुटाने का संकल्प लिया है ताकि इनके शिक्षा प्राप्त करने में कोई गतिरोध पैदा न हो और बच्चे निःसंकोच शिक्षा के प्रति केंद्रित हो सके। माही मौलाना आजाद के वैचारिक विरासत का अमीन है और हम भी इस बात के पक्षधर हैं कि बहुसांस्कृतिक समाज प्रतिष्ठा के साथ जीने के लिए समाज एवं राष्ट्र को सकारात्मक योगदान के लिए शिक्षा जीवन का एक अनिवार्य तत्व है और इसे सभी को समान रूप से मिलना चाहिए। माही ने वंचित तबके को लक्ष्य निर्धारित कर शिक्षा को उन तक पहुँचाने के मिशन को अभियान में बदल दिया इसके लिए “मक़सद” (Motivation, Assistance and quality support for Academic Development”) के द्वारा उनकी शिक्षा को निखारने की एक श्रृंखला की शुरुवात किया है।
माही के शैक्षिक और सांस्कृतिक में लगभग 40 स्कूलों के 700 बच्चों ने भाग लिया। कई स्कूलों के बच्चियों ने अपने सांस्कृतिक प्रदर्शन से मौजूद लोगों का मन मोह लिया। कई कार्यक्रम ने लोगों को रुलाया भी और राष्ट्रीयता का संचार किया। मेहमानों ने प्रदर्शनी को लाजवाब बताया और कहा कि यह पूरे प्रदेश को प्रेरित करेगा।

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