रांची: झारखंड राज्य की राजधानी रांची जो शुरू से झारखंड आंदोलन का केंद्र रहा है । जिसने दक्षिण बिहार ,उत्तरी उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और वर्तमान छत्तीसगढ़ के पूर्वी क्षेत्र के आदिवासी क्षेत्र के लिए एक अलग राज्य की मांग रखी थी । इस सीट से इस बार शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी और कर भला तो हो भला के संस्था के संस्थापक अध्यक्ष सज्जाद इदरीसी रांची से निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। रांची लोकसभा सीट के अंतर्गत छह विधानसभा सीट आती है जिनमें ईचागढ़, सिल्ली , खिजरी, रांची, हटिया और कांके विधानसभा सीट शामिल है। 2019 में संजय सेठ ने 706828 और कांग्रेस के सुबोध कांत सहाय को 423802 वोट मिले थे। सज्जाद इदरीसी के बारे में कहा जाता है कि वह हर समाज ,धर्म के लोगों के लिए उनके हर सुख दुख में खड़े नजर आते हैं ।उनकी पकड़ सामाजिक मामलों पर अच्छी है । रांची लोकसभा की जनता चाहती है कि अब तक सज्जाद इदरीसी ने जो भी काम समाज के लिए किया है उसका उन्हें फल मिले जिससे कि वह लोकसभा जीत कर ऊपरी सदन में जाए, जहां वह समाज के प्रति और लगन के साथ काम कर सके और रांची को एक विकसित शहर बना सके। सज्जाद इदरीसी एक समाजसेवी के साथ-साथ बड़े आंदोलनकारी भी रहे हैं उन्होंने समय-समय पर कई आंदोलन किया । बिजली मीटर में अधिक बिल आने को लेकर उन्होंने एक बड़ा आंदोलन चलाया जो कि शहर में चर्चित हुआ। नौजवानों को नशे से दूर रखने के लिए खेल पर फोकस किया। समाज में अगर किसी तरह का कोई मामला होता है तो वह उनसे सलाह लेते हैं और वह छोटे-मोटे मामले या घरेलू मामले को अपने स्तर पर उनको सुलझाते हैं । उनके चुनाव में उतरने पर सभी राजनीतिक पार्टियों में खलबली मचना तय है ,क्योंकि उनके चुनाव लड़ने से लोग रांची लोकसभा चुनाव में असर पड़ेगा । उनके साथ रांची की जनता का प्यार, भरोसा है उन्हीं के भरोसे वह चुनावी सबर में कूद रहे हैं। सज्जाद इदरीसी कहते हैं कि मैं रांची की जनता की भरोसा और विश्वास और प्यार को नहीं तोडूंगा। मैं रांची के लोगों की सेवा करने के लिए हर वक्त, आम आदमी के साथ जुड़ा रहूंगा।