हंटरगंज में याद ए हुसैन कान्फ्रेस का भव्य आयोजन, अंतर्राष्ट्रीय और अंतर राज्य उलमाए काराम और शायर इस्लाम ने किया शिरकत

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दुनियां की सभी धार्मिक ग्रंथों में मानवता का संदेश दिया गया। मौलाना सद्दाम सैफी चतुर्वेदी नेपाल

कर्बला के मैदान में हुसैन ने शहादत देकर इंसानियत को बचाया। मौलाना सरफराज कोलकत्ता

हंटरगंज प्रखंड के केदली कलां पंचायत के रजा नगर बिहारी (गोखना) में याद ए हुसैन कांफ्रेंस का भव्य आयोजन किया गया।इस कांफ्रेस में अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतर्राजीय उलमाए ए एकराम और शायर इस्लाम के अतिरिक्त स्थानीय मौलानाओं ने शिरकत किया।इस एतिहासिक कान्फ्रेस में हिंदू मुस्लिम सिख और ईसाई का अनमोल संगम देखा गया। कांफ्रेंस का शुभ आरंभ कुरान ए पाक कि तलावत से कारी मंसूर अहमद ने किया।कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता मौलाना जावेद अख्तर कोलकत्ता बंगाल एवं संचालन हलचल सिवानी कर रहे थे।इस मौके पर गंगा जमुनी तहजीब को सशक्त और मजबूत बनाने को लेकर कांफ्रेस के आयोजक मो सलीम सेठ के हाथों सामाजिक समरसता के अलंबरदार कमल कुमार केशरी उर्फ पंडित सिंह,जिप सदस्य सुरेश पासवान,प्रो ओम प्रकाश निवलेंदु, स्थानीय मुखिया अशोक यादव,विनय कुमार गुप्ता,सरदार अजमेर सिंह,सरदार मोनू सिंह को फूलों का माला पहना कर स्वागत किया गया।
मौलाना सद्दाम सैफी चतुर्वेदी नेपाल ने कहा कि ऋग्वेद,सामवेद यजुर्वेद,अर्थवावेद और कुरान के सलकों के हवाले से मानवता का संदेश सभी ग्रंथों में दिया गया है।धार्मिक पुस्तकों को लोग पढ़ना छोड़ कर सिर्फ धार्मिक भावनाओं में लोग बह रहे हैं जिस से मानवता शर्मसार हो रहा है।उन्होंने यह भी कहा कि ईश्वर की आकाशीय पुस्तकों की संख्या 128 है जिसमें महान ग्रथों की संख्या उन्होंने ने चार बताया।उक्त धार्मिक ग्रंथों के साथ तौरेत,जब्बूर,इंजिल और कुरान भी है।
संतान धर्म के उक्त चार महान ग्रंथों के अतिरिक्त महाभारत और रामायण की कथाएं भी मानवता का ही संदेश देती है।किताबों से दूरी सामाजिक और आपसी भाई चारे को तबाही और बर्बादी के दहाने तक पहुंचा दिया है।सभी धर्म के लोगों को अपनी धार्मिक ग्रंथों को पढ़ कर समझने पर जोर दिया गया।उन्होंने उक्त ग्रंथों के सलोकों को पढ़ कर कहा कि कोई भी धार्मिक ग्रंथ में हिंसा की बात नहीं कही गई है।मौलाना मुफ्ती सरफराज अहमद मिस्बाही कोलकत्ता ने अपने संबोधन में कहा नबी के नवासे हुसैन ने कर्बला के मैदान में जो महान शहादत पेश किया वह आज तक कोई दुसरा मिसाल पेश नही कर सका है और रहती दुनियां तक कोई पेश नही कर पाएगा। जो सब्र हुसैन ने पेश किया उसका का भी मिसाल दुनिया की किसी पुस्तक में नही मिलती है।इराक की धरती का वह कर्बला का मैदान और नहरे फुरात पर पानी लेने पर रोक यजीद के जुल्म को आज भी किताबें बेयान कर रही है। पुरी दुनियां में हुसैनी हैं परंतु यजीदी समाप्त हो गए।यजीदी नबी के घराने और इस्लाम को समाप्त करना चाहते थे वह खुद ही मिट गए।कर्बला में हुसैन ने जुल्म के विरुद्ध सर दे दिया परंतु सर नही झुकाया।हुसैन की महान शहादत आज पुरी दुनिया मना रही है परंतु यजीद की विजय की उद्घोषण कोई नही करता है।हम सब हुसैनी हैं जुल्म करने वाले करते रहें हम सब्र करते रहेंगे।इस मौके पर शाएर इस्लाम कलीम अशरफ कानपुर,यु पी,मौलाना फुरकान मंजरी, बरैली शरीफ युपी,हसीब उल्लाह जिगर पालम्वी,मौलाना हसन सिद्दीकी,सद्दाम सैफी बिहार,कारी मो मेराज अहमद बरकाती,ने अपने संबोधन और कविता के माध्यम से लोगों को पुरी रात बांधे रखा।इन लोगों के अतिरिक्त स्थानीय मौलानाओं में मुफ्ती मो रेयाज उद्दीन हसन शाही,मौलाना इनामुल हक,मौलाना इरशाद रहमानी, मौलाना इबरार ,हाफिज में मुख्तार आलम रिजवी,मौलाना जुलकरनैन,मौलाना शाहबाज आलम,हाफिजों में हारून रजा,शहाबुद्दीन, इकबाल हुसैन,वसीम अहमद,महफूज आलम भी
स्टेज पर मौजूद थे।कांफ्रेंस को सफल बनाने में वकील खां, जमाल अहमद,पप्पू मिस्त्री,अताउल्लाह,शमीम अहमद,रफीक अहमद,आतिफ खां, बाबर खां,अब्दुल हफीज अमानुल्लाह के अतिरिक्त कमिटी के दर्जनों लोगों ने महती भूमिका निभाई।

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