झारखंड के आदिवासी, पिछड़े, गरीब और असहाय लोगों के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले परम आदरणीय स्वर्गीय श्री शिबू सोरेन गुरुजी कब उन आदिवासियों के लिए भगवान बन गए ये शायद गुरुजी को भी अंदाजा नही हुआ होगा। गुरुजी सिर्फ एक नाम ही नहीं, एक युग थें , एक विचार, एक आंदोलन, एक संघर्ष और एक उम्मीद थे।
एक अनुकरणीय नेतृत्व, जिसने आदिवासी, पिछड़े एवं दलितों के अधिकार और न्याय के लिए जीवनभर संघर्ष किया।
गुरुजी की आत्म झारखंड की मिट्टी, यहां के जंगल, पहाड़ों में बस्ती थी तो यहां के आदिवासी और पिछड़ों की आत्मा गुरुजी में।
गुरुजी के आंदोलन ने, न सिर्फ झारखंड के जंगलों और पहाड़ों पर बसने वाले आदिवासियों के जीवन को अंधकार से निकाला बल्कि झारखंड के जन, जंगल, पहाड़ और अस्मिता की भी रक्षा की और झारखंड अलग राज्य के निर्माण का सपना साकार किया। और इस तरह वो झारखंड के आदिवासियों और पिछड़ों के दीशुम गुरु ( भगवान ) बन गए।
ऐसी महान आत्मा को मैं नमन करता हूँ। मुझे भी गुरुजी के जीवन दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ और उनका आशीर्वाद मिला।
झारखंड राज्य से राज्य सभा के सांसद के तौर पर मेरे कार्यकाल के दौरान कई बार गुरुजी से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ और हर बार उनके जीवन दर्शन से कुछ नया सीखने को मिला। गुरुजी से मिलकर सचमुच महसूस हुआ कि वो दिशुम गुरु( भगवान का अवतार हैं) न कोई गुरूर, न किसी के लिए कोई कटुता, सभी के लिए प्यार और आशीर्वाद। ऐसी आत्माएं सदियों में एक बार जन्म लेती हैं।
मैं ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं। ईश्वर शोक संतप्त परिवारजनों को भी इस पीड़ा को सहने की शक्ति प्रदान करे। इस दुःख की घड़ी में मेरी पूरी संवेदना और सहानुभूति उनके परिवारजनों के साथ है।
राज्य के मुख्यमंत्री और गुरुजी के सुपुत्र श्री हेमंत सोरेन अपने पिता के नक्शे क़दम पर चलते हुए उनकी विरासत और कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। विकसित और अग्रणी झारखंड के गुरुजी के सपनों के निर्माण में जब भी जरूरत पड़ी मैं अपना योगदान देने के लिए कृतसंकल्प हूँ । गुरुजी के प्रति यही मेरी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
