राजा पालकोट की भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा विगत 400 वर्षों से ज्यादा का है। इस वंश के राजा का योगदान पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में भी है। वहां भगवान जगन्नाथ के दाहिने तरफ जो राधा कृष्ण मंदिर है उसकी प्राण प्रतिष्ठा इसी वंश के द्वारा किया गया था।
रांची का नाम पहले कृष्णपूर था जिसे अंग्रेजों ने बदल दिया था जिसके लिए इसी वंश के द्वारा बहुत लड़ाई लड़ी गई थी।
पूरी के जगन्नाथ मंदिर में आज भी इस वंश के लोगों को बहुत सुविधाएं दी जाती है।
गुमला की रथ यात्रा बहुत ही प्रसिद्ध है जो जगन्नाथ पूरी की तरह भव्य रूप में मनाया जाता है।