रांची शहीद जय मंगल पांडे वंशज सच्चिदानंद पांडे ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 1857 का विद्रोह झारखंड में शहीद जयमंगल पांडे और नादिर अली खान ने 2 अगस्त को रांची स्थित डोरंडा बटालियन से 1 बजे दिन कर अंग्रजी सैनिकों को खदेड़ कर बंदिक बना लिए।अंग्रजी सेना अचानक विद्रोह को समझ नही पाए और भाग खड़े हुए। विद्रोह के बाद शहीद जयमंगल पांडेय के प्रयास से विश्वनाथ साहदेव पांडेय गणपत राय से मिलकर मुक्ति वाहिनी सेना का गठन किया और इसके नेतृत्व विश्वनाथ सहदेव को दिया गया उन्होंने कहा कि विद्रोह को वृहद करने के उद्देश्य से वीर कुंवर सिंह से मिलने टुकड़ी आरा के लिए कूच कर गई। मुक्ति वाहिनी में ठाकुर अमर शहीद विश्वनाथ सहदेव, पांडे गणपत राय ,माधव सिंह ,शेख भिखारी ,टिकैत उमराव, नीलाम्बर पीतांबर समेत 500से ऊपर भारतीय सैनिक शामिल थे। आरा जाने के लिए टोरी चंदवा बालूमाथ होते हुए चतरा के रास्ते बाबू कुंवर सिंह से मिलने जा रहे थे तभी अंग्रेजों ने चतरा काली पहाड़ी के पास भारतीय सैनिक को घेर लेते है जहा 2अक्टूबर 1857 को शहीद जय मंगल पांडे नादिर अली के साथ अंग्रेजो के साथ भीषण युद्ध हुआ मुठभेड़ हुआ जहां नादिर अली खान को गोलि लग गई सैकड़ों लोग हताहत हुवे कई लोग का अंग भंग करना पड़ा शहीद जयमंगल पांडेय इस युद्ध में 56 अंग्रेजी सैनिकों को मार गिराए उसके बाद जयमंगल पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया।और 4अक्टूबर 1857 को चतरा के पीएम फासीहारी तलाव जयमंगल पांडे, नादिर अली खान और 150 भारतीय सैनिकों को चतरा के फासीहारी तलाब के पास सामूहिक रूप से फांसी दे दी गई। दुर्भाग्य रहा है कि अगर 1857 में झारखंड का यह विद्रोह सफल होता तो 1857 में झारखंड के इस क्रांतिकारियों की बदौलत उसी समय देश को आजादी मिल गई होती। दुर्भाग्य है आज तक इतनी बड़ी क्रांति को लोग भुलाते जा रहे है सरकार का कोई ध्यान शहीद और उनके परिवारों को भी सम्मान से वंचित कर दिया गया है इस पूरे 1857की घटना राष्ट्रीय मानचित्र पर नही है जबकि झारखंड 1857की घटना एक बड़ी घटना है 2अगस्त को इन लोगो ने अंग्रेजो के खिलाफ सॉरी का परिचय दिया सरकार से अपेक्षा है झारखंड के स्वतंत्रता सेनानियो की राष्ट्रीय पहचान के लिए झारखंड सरकार को पहल करना चाहिए आज इस इतिहास को झारखंड ही नही देश की जानने की आवश्यकता है