वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ का भवन व परिसर को वापस पाने की लड़ाई जारी रहेगी : चंदन पाल प्रेस कांफ्रेंस में कहा

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रांची। गांधी-जेपी की विरासत के नाम से मशहूर वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ का भवन व परिसर को 22 जुलाई खाली करा लिया गया। इसके खिलाफ देशभर के सभी प्रांतों में सर्व सेवा संघ के द्वारा संवाददाता सम्मेलन कर विरोध दर्ज कराया जा रहा है। इसी क्रम में झारखंड की राजधानी रांची में संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया। चंदन पाल ने कहा कि गांधी विचार के राष्ट्रीय संगठन सर्व सेवा संघ की स्थापना मार्च 1948 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई थी। विनोबा भावे के मार्गदर्शन में करीब 63 साल पहले सर्व सेवा संघ भवन की नींव रखी गयी। इसका मकसद महात्मा गांधी के विचारों का प्रचार-प्रसार करना था। वर्ष 1960 में इस जमीन पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना के प्रयास शुरू हुए। भवन का पहला हिस्सा 1961 में बना था। 1962 में जय प्रकाश नारायण खुद यहां रहे थे। इस विरासत को खत्म करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि लगभग 13 एकड़ की जमीन को रेलवे हड़पना चाहती है। रेलवे का कहना है कि जमीन पर अवैध कब्जा है, जबकि यह जमीन खरीदी गयी है। इसके खिलाफ हमलोग लगातार आंदोलन चलायेंगे और आम लोगों तक अपनी बात पहुंचायेंगे। उन्होंने बताया कि इसके लिये राष्ट्रपति प्रधानमंत्री सहित सभी सांसदों को पत्र भी लिखे है। ताकि इस धरोहर को बचाया जा सके। 15 अगस्त को उपवास किया जायेगा। गांधी के विचारों को मिटाने की साजिश को नाकाम किया जायेगा। बता दें कि सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीन के मालिकाना हक का विवाद चल रहा था। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट गया। हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी एस. राजलिंगम की कोर्ट को जल्द फैसले लेने का आदेश दिया। जिलाधिकारी कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और उत्तर रेलवे के हक में फैसला दिया। संघ ने जिलाधिकारी के आदेश को पहले हाईकोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन निराशा हाथ लगी। राहत की याचिकाएं खारिज हो गयी। इस मौके पर गिरजा सतीश और शंकर राणा प्रदेश अध्यक्ष मौजूद थे।

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