पांच पन्ने के अपने सुसाइड नोट में उन्होंने बताया कि कैसे पांच साल पहले रामगढ़ में टैंकर लोन देने में बैंक के कुछ अधिकारियों ने कैसे धोखाधड़ी की। फ्रॉड लोन की जांच सीबीआई ने शुरू की और सुप्रियो से भी पूछताछ हुई। पर सारे साक्ष्य देखने के बाद सीबीआई ने सुप्रियो को क्लीन चिट दे दिया और वो गवाह बन गए।
लेकिन इसके बाद बैंक के बाकी अधिकारी जो उस वक़्त ब्रांच मैनेजर और क्रेडिट हेड थे उनके खिलाफ जांच जारी रही। इस बीच एक ग्राहक ने रामगढ़ पुलिस के पास लोन न देने का केस दर्ज करवाया। ऐसे ही मामले की सीबीआई जांच चलते रहने पर भी रामगढ़ पुलिस सुप्रियो को जांच के नाम पर तंग करने लगी। महीनों तक पुलिस के हरासमेंट के बाद सुप्रियो ने इस बेवजह की परेशानी और प्रताड़ना से तंग आकर जान देना ज़्यादा मुनासिब समझा।
सुप्रियो की कुछ साल पहले ही शादी हुई थी। पत्नी के अलावा बैंक ऑफ इंडिया से ही रिटायर्ड पिता और बहन हैं।