रांची : पंचायत योजनाओं में महिलाओं और बच्चों के मुद्दों को शामिल करने के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन होटल चाणक्या, बीएनआर, रांची में किया गया। चाइल्ड इन नीड इंस्टिट्यूट (सिनी) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओएस) और पंचायत प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें जमीनी स्तर पर समावेशी प्रक्रिया को मजबूत करने पर चर्चा की गई। पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पाण्डेय सिंह ने अपने संबोधन में पंचायतों को बाल-संवेदनशील और महिला हितैषी बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार महिलाओं एवं बच्चों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, और उन्होंने एनजीओज़ को आह्वान किया कि वे सामने आयें एवं इस प्रतिबद्धता को हासिल करने में हाथ बटायें।
खूँटी और धनबाद में चीनी द्वारा बाल-हितैषी ग्राम विकसित करने की पहल राज्य के लिए एक मॉडल है, जिसे झारखंड के अन्स क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है। जब समुदाय बाल संरक्षण के मुद्दों को समझकर स्थानीय समाधान विकसित करता है, तो इससे बाल अधिकारों के उल्लंघन को रोका जा सकता है और सामुदायिक सुरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। पंचायती राज संस्थानों (प्रिस) और बाल संरक्षण प्रयासों के समन्धय समन्वय को बढ़ावा देने की यह पहल सराहनीय है। यह झारखंड में बाल-संवेदनशील और बाल हितैषी ग्रामों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है । शैलेश कुमार, उप निदेशक, पंचायती राज विभाग, झारखंड ने पंचायत योजनाओं में महिलाओं और बच्चों के मुर्दो को एकीकृत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। मेघेद्र बैनर्जी (सिनी, कॉप) ने पंचायत शासन में बाल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण को शामिल करने के महत्व को उजागर किया।
खूँटी और धनबाद के नेचुरल लीाडर्स ने सामुदायिक स्तर पर बाल संरक्षण प्रयासों को प्रदर्शित किया, जिसमें बाल तस्करी, बाल विवाह और स्कूल छोड़ने की समस्याओं को कम करने की दिशा में किए गए कार्यों को साझा किया। इस अवसर पर जीपीडीपी मार्गदर्शिका का विमोचन किया गया, जो पंचायतों को बाल-हितैषी और लैंगिक संवेदनशील योजना अपनाने में मार्गदर्शन करेगा। मरीन मुखजी, सहायक निदेशक चीनी एवं अनिता सिन्हा, चीनी ने क्रमशः पश्चिम बंगाल और झारखंड में महिलाओं और बच्चों के मुद्दों को स्थानीय विकास योजनाओं में शामिल करने पर किए गए प्रयास को साझा कीं।
पैनल चर्चा में विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए, ऋचा तिवारी (फिया फाउंडेशन),ओंकार त्रिपाठी (यूनिसेफ),पूर्णिमा मुखर्जी (एसपीएम, जेएसएलपीएस)चर्चा का संचालन तन्ही झा (सिनी) ने किया।
अजय श्रीवास्तव (जेएसएलपीएस) ने बाल-संवेदनशील समुदायों के निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर बात की और जमीनीस्तर पर सशक्तिकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। शिल्पा जायसवाल (सिनी) ने परामर्श बैठक के मुख्य सुझावों का सार प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम का संचालन अनिता सिन्हा (सिनी) ने किया। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) हैं: द हंस फाउंडेशन, फिया, यूनिसेफ, पिरामल फाउंडेशन, बदलाव फाउंडेशन, प्रतिज्ञा, आईसीआरडब्ल्यू, छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ, सिटिज़न्स फाउंडेशन, प्लान इंडिया, लीड्स, बाल कल्याण संघ, एक्सिस, सीवीजे, मंथन, बाल रक्षा भारत, सृजन फाउंडेशन और स.ग.व.व. शामिल थे।