सरला बिरला पब्लिक स्कूल, रांची में वात्सल्यम्-2 के अंतर्गत ग्रैण्डपैरेंन्ट्स डे का भव्य आयोजन अत्यंत श्रद्धा, प्रेम और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन “एमपावेरिया – भारतीय नारियों की गौरवगाथा” विषय पर केंद्रित था। इस अवसर पर रथ यात्रा उत्सव को भी पारंपरिक भव्यता के साथ मनाया गया। सरला बिरला विश्वविद्यालय के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) गोपाल पाठक ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से इस अवसर की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय परिवार द्वारा आमंत्रित सभी अतिथियों और वरिष्ठ परिजनों के आत्मीय स्वागत के साथ हुई। विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत मधुर स्वागत गीत एवं नृत्य ने वातावरण को उल्लास से भर दिया। कार्यक्रम में रथ यात्रा की भव्य झांकी प्रस्तुत की गई, जिसमें विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक समन्वय और परंपराओं की झलक को सुंदरता से मंचित किया। इसके उपरांत विद्यालय की उपलब्धियों का वार्षिक प्रतिवेदन वाइस हेड बॉय द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें शैक्षणिक, सह-पाठ्य और सांस्कृतिक क्षेत्रों में विद्यालय की उपलब्धियों का विस्तार से वर्णन किया गया। वर्ष 2025 की बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को मंच पर सम्मानित किया गया और उनकी प्रेरक सफलता की कहानियाँ भी साझा की गईं। पहली कक्षा के विद्यार्थियों ने भारतीय इतिहास की महान नारियों की गाथाओं को बड़ी आत्मीयता और जीवंतता से प्रस्तुत किया। मंच पर मीरा बाई की श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति, नायकी देवी के साहस, रानी राशमोनी के सामाजिक योगदान, जीजा बाई के प्रेरणादायी नेतृत्व, रानी गाइडिन्ल्यू के देशभक्तिपूर्ण योगदान और माता भागो की वीरता की अत्यंत सजीव व सराहनीय प्रस्तुति अभिनय के माध्यम से दर्शाई गई। रथ यात्रा एवं सावन के पावन मौसम पर आधारित एक विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुति ने दर्शकों को परंपरा, भक्ति और उल्लास से ओत-प्रोत कर दिया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन, विद्यालय गीत और राष्ट्रीय गान के साथ हुआ, जिससे संपूर्ण आयोजन को गरिमापूर्ण पूर्णता प्राप्त हुई।
सरला बिरला विश्वविद्यालय के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) गोपाल पाठक ने संस्था को आमंत्रण हेतु हृदयतल से धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कहा कि छात्रों का चरित्र निर्माण केवल शिक्षकों की ही नहीं, अपितु अभिभावकों की भी समान भागीदारी का विषय है। जब परिवार और विद्यालय एकरूप होकर मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करते हैं, तभी एक सशक्त, जागरूक और संवेदनशील पीढ़ी का निर्माण संभव होता है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत की वीरांगनाओं की त्याग-तपस्या, साहस और योगदान से हम सबको प्रेरणा लेकर ऐसी संतानों का निर्माण करना चाहिए जो देश की गरिमा को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाएं।
प्राचार्या श्रीमती परमजीत कौर ने अपने प्रेरणास्पद संबोधन में छात्रों एवं शिक्षकों के सामूहिक प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा, देश की वीर बेटियों की गाथाओं को मंच पर जीवंत कर बच्चों ने जिस समर्पण व आत्मविभोरता से प्रस्तुत किया, वह प्रशंसनीय है। आज आवश्यकता है कि हम बच्चों में बचपन से ही साहस, श्रद्धा और सेवा जैसे गुणों का बीजारोपण करें। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे उन लोगों के प्रति आभारी रहें जो उनकी गलतियों को सुधारकर उनके चरित्र को आकार देते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे उनकी परवाह करते हैं और चाहते हैं कि वे खुद का एक आदर्श संस्करण बनें।