वन विभाग द्वारा लगाए गए महुआ के सैम्पल, उससे बने सामान एवं झारखण्ड के शुद्ध शहद को काफी पसंद कर रहे लोग।

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नई दिल्ली : प्रकृति की बनायीं गयी लगभग सभी वस्तुएं अनमोल, और जीव हित में होती हैं| इसी लिये हम प्राकृतिक वस्तुओं द्वारा निर्मित वस्तुओं को अधिक प्राथमिकता देते हैं| व्यापार मेले के झारखण्ड पवेलियन में सभी प्रदेशों की भाति झारखंड प्रदेश की अपनी अलग संस्कृति दिख रही है।| वेशभूषा से ले कर रहन सहन और सजावट की अलग परिपाटी है| झारखण्ड में घरो की सजावट के लिए सोहराई पेंटिंग और कोहबर पेंटिंग का इस्तेमाल किया जाता है| झारखण्ड पवेलियन में आदिवासी पैटकर पेंटिंगों का लाइव डेमो देखा जा सकता है| पेंटिंग बनाने वाले गणेश गायन के अनुसार सोहराई पेंटिंग और कोहबर पेंटिंग पूरी तरह से प्राकृतिक होती है| इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला रंग अलग अलग रंग की मिटटी को पीस कर बनाया जाता है| इसको बनाने में कई दिल लगते हैं| सोहराई पेंटिंग में कई रंगो का उपयोग किया जाता है, वहीँ कोहबर पेंटिंग सफ़ेद और काले रंग की होती है।
झारखण्ड पवेलियन के वन विभाग का स्टाल भी लोगो को अपनी ओर खीच रहा है। इस स्टाल में लोग झारखण्ड के शहद के बारे में जानन के लिए आ रहे हेै एवं उसकी गुणवत्ता को जानने के बाद अच्छी मात्रा मे खरीद रहे हेै।
राज्य में सरसों, वन तुलसी, करंज, सरगुजा, खजूर, की खेती अच्छी होती है एवं सारे फूलों को प्राकृतिक रूप में बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए खेती की जाती है। जिसकी वजह से मधुमक्खी पालन अच्छी होने के साथ ही शुद्ध मधु एवं अच्छी गुणवत्ता वाले मधु राज्य में होते है। राज्य के शहद में नमी कम होती है, जिस कारण यह मधु को काफी गुणवत्ता वाली बनाती हेै।
इसके अलावा वन विभाग द्वारा महुआ के फूलों से बने निमकी और लड्डू भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। महुआ के फूल, फल,पत्तियां,छाल सभी का इस्तेमाल होता है। इससे बने सामान खाने में स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी है।

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