रांची: वैसे तो किसी भी व्यक्ति के शरीर का कोई भी एक अंग अलग कर दिया जाय तो व्यक्ति का पूरा जीवन ही बदल जाता है, उसपर हाथ जो एक प्रमुख अंगों में से एक है, हाथ के बिना ज़िंदगी अधूरी सी हो जाती है। पारस के डॉ विवेक गोस्वामी ने एक मरीज़ के हाथ को बचाकर उसे एक नई ज़िंदगी दी है। मरीज़ का रामगढ़ में एक छोटा सा दुकान है और वह अपनी ज़िंदगी अब सुचारू रूप से चलते हुए साथ में अपने परिवार का भी पालन पोषण कर रहा है। मरीज़ ने पारस अस्पताल एवं डॉ विवेक गोस्वामी का आभार व्यक्त करते हुए एक नया जीवन देने के लिए कृतज्ञता व्यक्त की।
झारखंड के रामगढ़ ज़िले का एक 50 वर्षीय व्यक्ति की विगत 7 सितंबर को सड़क दुर्घटना हो गई थी। इस दुर्घटना में व्यक्ति का दाहिना हाथ बुरी तरह से ज़ख़्मी हो गया था। दाहिने हाथ की दोनों नसें एवं मांसपेशी नष्ट हो गई थी। मरीज़ की नाज़ुक स्थिति को देखते हुए उनके परिजनों ने पारस अस्पताल लाया। सर्वप्रथम आपातकालीन विभाग में त्वरित इलाज करते हुए मरीज़ के हाथ के एक नस को जोड़ दिया गया ताकि उसके हाथ को कटने से बचाया जा सके। पारस अस्पताल के डॉ विवेक एवं उनकी अनुभवी टीम ने मरीज़ के बायें जाँघ से माइक्रो वैस्क्यूलर फ्री फ्लैप लिया और मात्र दो दिनों में ही मरीज़ के हाथ की सभी क्षतिग्रस्त मांसपेशियों और नसों का निर्माण किया। 5 घंटे तक चलनेवाला यह जटिल ऑपरेशन सफल रहा और मरीज़ के हाथ को कटने से चिकित्सकों ने बचा लिया। पारस के चिकित्सक डॉ विवेक ने बताया कि मरीज़ को अस्पताल लाने में यदि एक घंटे की भी देरी होती तो मरीज़ के हाथ को बचाना नामुमकिन होता।
डॉ विवेक ने बताया कि इलाज के इस तकनीक को “फ्लो थ्रू फ्लैप” कहते हैं, जिसमें मरीज़ के शरीर से ही मांस निकालकर उसके हाथों की नस और मांसपेशी का निर्माण किया जाता है। झारखंड की चिकित्सा जगत में पहली बार इस विधि के द्वारा सफल ऑपरेशन किया गया है। राँची के पारस अस्पताल के माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी विभाग में किसी भी तरह का कटा हुआ या ज़ख़्मी हाथ को उन्नत तकनीक विधि से जोड़ने के लिए अत्याधुनिक सुविधायुक्त सेवा उपलब्ध है।
पारस अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ नीतेश कुमार ने कहा कि पारस अस्पताल की प्लास्टिक सर्जरी विभाग की टीम बेहतर काम कर रही है।