रातू :रमजान उल मुबारक का तीसरा अशरा शुरू हो चुका है। पाकीजा रमजान के तीसरे असरे में जहन्नम से निजात के लिए अल्लाह तआला से दुआएं की जाती है। अल्लाह अपने रहम से गुनाहगारों को इस तीसरे असरे में जहन्नुम से निजात देता है। रमजान महीने की तीसरा अशरा व रमजान महीने के महत्व रोजा इंसान को दयावान रहम दिल उदारवादी और ईमानदार बनाता है। इस्लाम में रोजा रखने का मतलब सुबह से शाम तक भूखा प्यासा रहना ही नहीं है। रोजा रखने के अपने नियम हैं रोजे की हालत में परहेजगारी अनिवार्य है रोजे की हालत में झूठ,चुगली,गाली गलौज,लड़ाई,झगड़ा, बेईमानी,क्रोध,लालच व किसी का दिल दुखाना ये सब मना है।यदि कोई रोजेदार रोजे की हालत में इनमें से कोई अमल कर गुजरता है तो उसका रोजा नहीं माना जाता। रमजान के पवित्र महीने में रोजे के साथ अल्लाह की इबादत मानसिक, रूहानी, शारीरिक पवित्रता,जकात के फर्ज को पूरा करते हुए गरीबों को आर्थिक सहायता, रिश्तेदारों को उनका हक देना, अपने गुनाहों से तौबा करना, गरीबों, *यतीमों, बीमारों की तकलीफों को महसूस करना अपने जीवन को इ