मदन साव मदन लाला साहु एवं अन्य के द्वारा मेरी खतियानी आदिवासी जमीन में अवैध रूप से कब्जा करने का कोशिश

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रांची : लाली कच्छप, पति स्व० अजय कच्छप, वर्तमान निवासी न्यू तारा बाबू लेन, थड़पखना, पो०-मेन जी पि ओ. (मुख्य डाकरघर) थाना लोअर बाजार, जिला राँची, झारखण्ड मे रांची जिला के मौजा चडरी अंतर्गत खाता नं०-04, प्लॉट नं०-16, अवस्थित भूमि का एक टुकड़ा उत्तराधिकारी में प्राप्त किया है जिसका रकबा 59 डिसमिल है। यह भूमि हमारी खतियानी भूमि है जो रेकार्ड आफ राईट में शुकरा उराँव, पिता एतवा उराँव वा पातु उराँव, चारू उराँव पिता- मोरहा उराँव के नाम से दर्ज है। पातु उराँवऔर चारू उराँव नावल्द थे, अंततः मेरे पति स्व० अजय कच्छप के पूर्वज उक्त भू-खुड के वास्तविक मालिक हैं, तथा आज तक हमने व हमोर पूर्वजों न जमीन की कोई बिक्री नहीं की है। इस ज़मीन पर मदन साव मदन लाल साहू, बिनोद साव, शंकर साव, गोपाल साव, सभी के पिता खेदू साव, तथा बृज किशोर साहु, गोपाल चंद्र साहू, राम कृष्णा साहू, दानी प्रसाद साहू, नारायण प्रसाद साहू, प्रताप चंद्र साहू सभी के पिता श्याम किशोर साहू, तथा सभी निवासी ग्राम-एच. बी रोड, थाना-लोअर बजार, पो०-मेन जी पि ओ. (मुख्य डाकरघर), जिला – रांची, झारखण्ड 20-30 अन्य असामाजिक तत्वों के साथ और सहयोग से हमारी भूमि पर बुरी नजर बनयो हुए थे, और उक्त भूमि से हमें वर्ष 2001-2002 में बेदखल कर दिये। इसके बाद मेरे पति स्व० अजय कच्छप ने छोटानगपुर काश्तकारी अधिनियम की धारा-71 (ए) के तहत राँची जिले के सर पदाधिकारी के समक्ष एक आवेदन समर्पित किया, जिसकी संख्या-268/2005-06 है। इस वाद में उपर्युक्त लोगों अर्थात मदन साव मदन लाला साहु एवं अन्य को प्रतिक्षी बनाया गया, तथा उन्होंने भी अपना कारण पृचछा/जवाब दाखिल किया हैं उन्के द्वारा दाखिल किये गये कारण पृच्छा/जवाद को देखने से स्पष्ट होता है कि उनका भूमि पर दावा विक्रय-पत्र आधारित है जो हमारे पूर्वजों के द्वारा उक्त भूमि के विक्रय के बाद अस्तित्व में आया था। हालांकि यह विक्रय पत्र कानूनन अवैध है क्योंकि छो. का अधि. 1908 के तहत आदिवासी जमीन के हस्तांतरण पर विशेष रोक है। अतः प्रतिवादियों के द्वारा प्रस्तुत विक्रय-पत्र फर्जी एव अवैध दस्तावेज है जिसकी समुचित जाँच की जानी चाहिये।

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