उर्दू के बड़े शख्सियत सैयद अमीर हुसैन रिजवी और प्रोफेसर अबूजर उस्मानी को खिराजे अकीदत पेश किया गया

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रांची: रांची के एक उर्दू दैनिक के द्वारा मस्जिद जाफरिया में सैयद अमीर हुसैन रिजवी पूर्व स्थानीय संपादक उर्दू अखबार और प्रोफेसर अबूजर उस्मानी एचओडी, उर्दू विभाग ,विनोबा भावे को खिराजे अकीदत पेश किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मौलाना बाकर रजा दानिश के द्वारा तिलावत ए कुरान पाक से हुई। इस मौके पर मुख्य अतिथि सेंट्रल मैनुरेटी एजुकेशन के डिप्टी प्रोफेसर डॉक्टर शाहिद अख़्तर, विशिष्ट अतिथि झारखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हिदायतुल्ला खान, एस एस अख्तर रजिस्टर जामिया हमदर्द थे। बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए प्रोफेसर डॉक्टर शाहिद अख्तर ने कहा कि दोनों ही शख्सियत उर्दू के लिए काम किया, दोनों ही बड़े नेक दिल इंसान थे ,दोनों का मिजाज सादा था। जो लोग अपने जुबान से जुड़े होते हैं वह सच्चे और नेक होते हैं। उन्होंने कहा की खबर एक्सप्रेस के इस मुहिम को हम आगे बढ़ाएंगे जब तक हम आने वाले नस्ल को अपने बुजुर्गों के बारे में बताएंगे नहीं तब तक हम तरक्की नहीं कर सकते है। इस मौके पर बोलते हुए हिदायतुल्लाह खान ने कहा की खबर एक्सप्रेस के इस कार्य को हम दिल से मुबारकबाद देते हैं। जिस तरह की खिदमत दोनों की रही है उनको भुलाया नहीं जा सकता। इस मौके पर मस्जिद जाफरिया के इमाम मौलाना सैयद तहजीब उल हसन रिजवी ने कहा कि यह दोनो ये लोग है जो कौम में मिल्लत के लिए ज्यादा समय दिया अपने घर में कम समय दिया। रिजवी साहब पत्रकार के साथ-साथ बड़े शायर मर्सियागो थे। मंच पर मुजफ्फर हसन, मौलाना यासीन कासमी, मौलाना अब्दुल्लाह अजहर कासमी, मौलाना शरीफ अहसन मजहरी, खुर्शीद परवेज सिद्दीकी थे। इस मौके पर बोलते हुए सैयद अमीर हुसैन रिजवी के बेटे नदीम रिजवी ने कहा कि हमारे वालिद ने हम लोगों की अच्छी परवरिश की इसके अलावा उन्होंने समाज के लिए भी अच्छा काम किया। और उर्दू जबान के लिए उन्होंने कई कुर्बानियां दी। प्रोफेसर अबूजर उस्मानी के बेटे हसन उस्मानी ने कहा कि मेरे पिता ने अपना सारा वक्त उर्दू के तरक्की के लिए दिया। उर्दू तहजीब ,उर्दू भाषा को बचाने का लगातार उन्होंने काम किया। वरिष्ठ पत्रकार खुर्शीद परवेज सिद्दीकी ने कहा सालरे उर्दू झारखंड प्रोफेसर अबूजर उस्मानी उर्दू के बड़े कलमकार रहे हैं। उन्होंने उर्दू की बड़ी खिदमत की, सैयद अमीर हसन रिजवी हमारे साथी और सदा मिजाज के थे, वह बड़े तनकिद निगार थे, उर्दू जबान पर गहरी थी। उन्होंने कहा कि मुल्क में ना जिंदा को और ना ही मुर्दे की कुर्बानी को याद किया जाता है। उर्दू तहरीक को अपने कलम और खून से सींचा और बहुत सारी कुर्बानियां पेश की। वहीं मुफ्ती अब्दुल्लाह अज़हर कासमी ने कहा की झारखंड में उर्दू एकेडमी बन जाना चाहिए। मौलाना शरीफ ने कहा की इन दोनों लोगों की खिदमात को भुलाया नहीं जा सकता। डॉक्टर यासीन कासमी ने कहा की दोनो शख्शियत जितना उर्दू में महान थे उतना ही अंग्रेजी में थे। श्रद्धांजलि सभा में प्रोफेसर डॉक्टर शाहिद अख़्तर, हिदायतुल्ला खान, खुर्शीद परवेज सिद्दीकी, मौलाना यासीन कासमी, मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर कासमी, मौलाना शरीफ अहसन मजहरी, मौलाना सैयद तहजीबुल हसन रिजवी, मुजफ्फर हसन, प्रोफेसर रिजवान अली अंसारी, शारिब खान, एस जसीम रिजवी, नदीम रिजवी, मोहम्मद तनवीर, एस अली, अकीलूर रहमान, मोहम्मद इस्लाम, मास्टर उस्मान, एस एम खुर्शीद, एस एम आसिफ, सैयद हसनैन जैदी, अब्दुल खालिक नन्हु, इकबाल फातमी, गुलाम शाहिद, शमी आजाद, मौलाना रिजवान, मोहम्मद इम्तियाज, सोहेल सईद, अमीन अहमद, आदिल रशीद, अली नवाब, कमर अहमद, सैयद नेहाल हुसैन सरियावी, मो इकबाल, प्रिंस, उजैर हमजापूरी, डॉक्टर असलम परवेज, समेत सैंकड़ों लोग उपस्थित थे।

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