स्वास्थ्य मंत्री ने झारखंड डी फार्मा टॉपर आफरीन को दिया रोजगार का भरोसा

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रांची : सिमडेगा के स्थानीय बाजारों में बैग
और पर्स बेचने वाले पिता की बेटी आफरीन रुखसार डी फार्मा में झारखंड स्टेट टॉपर बनी है। प्रतिभा की मिसाल बनी आफरीन न सिर्फ शिक्षा में अव्वल रहीं, बल्कि लेखन के क्षेत्र में भी उन्होंने पांच छोटी-बड़ी पुस्तकें लिखकर अपनी अलग पहचान बनाई है। हालांकि, आर्थिक हालात ने उन्हें कई बार तोड़ा, लेकिन उनके हौसले ने उन्हें झुकने नहीं दिया।
आफरीन की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। राज्य की टॉपर होने के बावजूद उन्हें रोजगार के लिए दर-दर भटकना पड़ा। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में जन्मी आफरीन के पिता स्थानीय बाजारों में पर्स और बैग बेचकर परिवार का गुजारा करते हैं। ऐसे में आफरीन बचपन से ही कुछ बड़ा करना चाहती थीं ताकि अपने परिवार की दशा सुधार सकें। स्टेट टॉपर बनने के बाद सिमडेगा में कई स्थानों पर उन्हें सम्मानित किया गया और स्थानीय विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी ने भी उन्हें प्रोत्साहित किया। विधायक ने उन्हें झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी से मिलवाने का आश्वासन भी दिया, लेकिन किसी कारणवश वह मुलाकात नहीं हो पाई।
यह मामला किसी तरह झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य वारिस कुरैशी तक पहुंचा। उन्होंने न सिर्फ आफरीन की कहानी को गंभीरता से सुना बल्कि पहल करते हुए खुद ही उन्हें स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के पास ले गए और उनसे मिलवाया। मुलाकात के दौरान आफरीन ने अपनी कठिनाइयों और भविष्य की योजनाओं को मंत्री के समक्ष रखा। डॉ. इरफान अंसारी ने पूरे धैर्य से आफरीन की बात सुनी, बल्कि उनकी मेहनत और समर्पण से प्रभावित होकर उन्हें रोजगार से जोड़ने का आश्वासन भी दिया। इस पर आफरीन ने भावुक होकर वारिस कुरैशी और मंत्री इरफान अंसारी का दिल से धन्यवाद अदा किया।
आफरीन ने कहा, “मेरे जैसे बहुत सारे प्रतिभाशाली युवा सही मार्गदर्शन और सहयोग की कमी के कारण अवसर से वंचित रह जाते हैं। मुझे आज जो सहारा मिला है, मैं इसके लिए शुक्रगुजार हूं। अब मैं समाज में कुछ अच्छा योगदान देने का प्रयास करूंगी।” यह कहानी उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं। आफरीन जैसे युवाओं को यदि समय रहते मंच और मार्गदर्शन मिले, तो वे समाज और राज्य दोनों के लिए अमूल्य साबित हो सकते हैं। इस पूरे घटनाक्रम में अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य वारिस कुरैशी की भूमिका को सराहा जा रहा है, जिन्होंने सिर्फ औपचारिकता नहीं निभाई बल्कि आफरीन को उसकी मंज़िल की ओर बढ़ने में असल मदद की।.अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि राज्य सरकार आफरीन जैसे होनहार युवाओं के लिए किस तरह के ठोस कदम उठाती है, ताकि उनकी प्रतिभा बर्बाद न हो और वे प्रदेश के विकास में अहम भूमिका निभा सकें।

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