रांची: सीबीएसई नवीन शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं में क्षमता निर्माण के माध्यम से शिक्षा में उत्कृष्टता लाने के लिए निरतंर प्रयासरत है। इस प्रक्रिया में एनईपी-2020 महत्वपूर्ण है। शिक्षार्थियों को 21वीं सदी के शिक्षण कौशल से लैस करने एवं प्राचार्यों, शिक्षकों और अन्य स्टाफ सदस्यों के ज्ञान और कौशल को अद्यतन करने के उद्देश्य से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सीओइ, पटना के तत्ववाधान में इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम (गुरु दक्षता) कार्यक्रम के तहत जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली के दयानंद प्रेक्षागृह में प्राचार्यों के लिए दो दिवसीय (26-27 नवंबर 2023) कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस इंडक्शन प्रोग्राम (गुरु दक्षता) में जब श्यामली के प्राचार्य समरजीत जाना, डीएवी तोपा कोलियरी के प्राचार्य ए के० प्रखर, साउथ पॉइंट पब्लिक स्कूल, गढ़वा के प्राचार्य वीरेंद्र कुमार, उर्सुलाइन कान्वेंट स्कूल की प्राचार्या जयंती केरकेट्टा, डीएवी विवेकानंद पब्लिक स्कूल, बेड़ो की के प्राचार्य कौशिक गोस्वामी, एलएनपी पब्लिक स्कूल गिरिडीह के प्राचार्य रामानंद प्रसाद, चिन्मया विद्यालय, बोकारो के प्राचार्य सूरज शर्मा आदि समेत राँची, रामगढ़,गिरिडीह, बोकारो, सिमडेगा, दुमका, बेड़ो, गढ़वा आदि जिले के 65 प्राचार्य एवं शिक्षक मौजूद रहे।
इस कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन के रूप में सरला बिड़ला स्कूल की प्राचार्या परमजीत कौर एवं सुरेन्द्रनाथ सेंटेनरी स्कूल, राँची की प्रचार्या समिता सिन्हा ने 8 मोड्यूल में सी०बी०एस०ई के प्रशिक्षण, परीक्षा, संबद्धता, शैक्षणिक, कौशल शिक्षा, आईटी, व्यावसायिक परीक्षा, शिक्षक पात्रता परीक्षा, सीओई और आरओ सहित सीबीएसई के सभी घटक विभागों और इकाइयों की संरचना, नीतियों और दिशानिर्देशों से परिचय कराया।
रिसोर्स पर्सन ने संवादात्मक, वीडियो क्लिप और प्रश्नात्मक शैली में कार्यशाला को सजीव और जीवंत बनाए रखा वहीं आगंतुक प्राचार्यों और शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी अपने महत्त्वपूर्ण विचार और पक्ष को साझा किया।
प्राचार्य समरजीत जाना ने कहा कि सीखे गए कौशल और ज्ञान तब निष्प्रभावी हो जाती है जब इसका क्रियान्वयन कक्षा-कक्ष में नहीं हो पाता। शिक्षक पर समाज निर्माण की जिम्मेदारी होती है और शिक्षकों की बागडोर प्राचार्य के हाथों में होती है। शिक्षा जगत में सामयिक परिवर्तनों से नया सापेक्ष प्रशिक्षण जरूरी होता है। नई शिक्षा नीति के समुचित क्रियान्वयन से यह संभव किया जा रहा है। इस दो दिवसीय इंडक्शन प्रोग्राम के माध्यम से शिक्षकों को अद्यतन नई चुनौतियों, तकनीकी, ज्ञान और कौशल से परिचय कराया गया जिससे प्रधानाध्यापक अपने संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग कर छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकें।