अलविदा जुम्मा रमज़ान महीने के रुखसती का प्रतीक है अदनान

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रांची: मानवाधिकार न्याय सुरक्षा परिषद राष्ट्रीय ट्रस्ट के प्रदेश सचिव अदनान अंसारी ने कहा कि इस्लाम धर्म में जुमा के दिन की खास अहमियत है. जुमा को छोटी ईद भी कहा जाता है और ऐसे में जुमा रमजान के पाक महीने का हो तो उसकी अहमियत ओर भी बढ़ जाती है. हदीस शरीफ के मुताबिक रमजान में हर नेकी वा इबादत के बदले सत्तर गुना ज्यादा सवाब मिलता है, ऐसे में जानते है क्या है अलविदा जुमा की खासियत.
अलविदा जुमा या आखिरी जुम्मा सभी मुसलमानों के लिए बेहद ही खास हैं. इस दिन को जुमा- तुल-विदा के नाम से भी जाना जाता है. रमजान के महीने में मुसलमान पूरे 30 दिन तक रोजा रखते हैं. इस 30 दिन में करीब चार हफ्ते होते है, और इन चार हफ्तों में जो रमजान के महीने का आखरी जुमा आता है उसे ही अलविदा जुमा कहते हैं. इस साल देश भर में आज यानी 5 अप्रैल 2024 को अलविदा जुमा मनाया जाएगा.
अलविदा जुमा के दिन मुसलमान भाई और बहन नए कपड़े पहनते है, फर्ज के साथ कई सारे निफ्ल नमाज भी पढ़ते है जिसे ज्यादा से ज्यादा सवाब( पुण्य) कमा सके. अल्लाह की इबादत करते है उनसे अच्छाई की दुआ मांगते हैं. कुरान कि ज्यादा से ज्यादा तिलावत करते है और गरीब/जरूरतमंदों कि मदद भी करते हैं.
इस्लाम धर्म में जुमे को लेकर क्या मान्यताएं हैं
हदीस के हिसाब से जुमा के दिन इस्लाम धर्म कि कई बड़ी मान्यताएं जुड़ी हुई है जैसे कि अल्लाह तआला ने इसी दिन आदम अलैहिस्सलाम(इस्लाम के हिसाब से दुनिया में भेजे गए पहले इंसान) को पैदा किया. इसी दिन उन्हें जमीन की तरफ उतारा और इसी दिन उनकी वफात (मौत) भी हुई.
जुमा के दिन एक घड़ी ऐसी भी होती है उसमें बन्दा अल्लाह से जो मांगे वो पूरा होता है. जुमा के दिन कयामत भी आएगी और मुकर्रिब फरिश्ते, आसमान, जमीन, हवाएं, पहाड़ और समुंदर सब के सब जुमे के दिन से डरते है. बता दें पांच फर्ज नमाज की तरह जुमे का नमाज भी मुसलमान मर्दों पर फर्ज हैं. 17 रमजान जुम्मे के दिन ही जंग ए बदर भी हुई थी, जिसे इस्लाम धर्म की पहली जंग कही जाती हैं.
अलविदा जुम्मा रमजान महीने के रुखसती का भी प्रतीक हैं. इसके बाद ईद शुरू हो जाता है. रमजान का महीना हमें मोहब्बत और अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चलना सिखाता है. इस्लाम में कहा गया है कि रमजान के आखिरी अशरे( आखरी के 10 दिन) में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए. हर साल आखिरी जुमे को धूमधाम से मनाया जाता है, और जुमे की नमाज के लिए मस्जिदों में खास तैयारियां होती हैं.

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