ई-कॉमर्स को रेगुलेट करने और निगरानी के लिए प्राधिकरण का गठन जरुरी- जेसीपीडीए

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छोटे छोटे स्थानीय एवं खुदरा व्यापारियों की परेशानी को देखते हुए झारखंड कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन (जेसीपीडीए) ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को पत्राचार कर ई-कॉमर्स को रेगुलेट करने और निगरानी करने के लिए एक नियामक प्राधिकरण के गठन की मांग की। जेसीपीडीए के अध्यक्ष संजय अखौरी ने कहा कि ई-कॉमर्स उद्योग को छोटे व्यवसायों के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए विनियमन की आवश्यकता है। यह देखा जाय तो ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर “5-6 कंपनियों का एक ही समूह” शीर्ष विक्रेता है जो छोटे व्यवसायियों के बढ़ने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ता है। ई कॉमर्स की मनमानी पर नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि ”शेयर बाजार और दूरसंचार उद्योग के लिए सेबी की तरह ई-कॉमर्स को विनियमित करने और निगरानी करने के लिए एक नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाय। उन्होंने यह भी संभावना जताई कि केंद्र सरकार इस महीने के अंत तक अनैतिक व्यापार प्रथाओं और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) उल्लंघनों के खिलाफ एक मजबूत ई-कॉमर्स नीति लागू करेगी जिससे स्थानीय स्तर के छोटे व्यापारी लाभान्वित होंगे।

जेसीपीडीए के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि ई कॉमर्स पर दवा और बंद फूड प्रोडक्ट की बिक्री पूर्ण प्रतिबंधित होनी चाहिए। यह देखें तो एक डिस्ट्रीब्यूटर को दवा और फूड प्रोडक्ट की बिक्री के लिए तमाम वैधानिक प्रक्रियायें पूरी करनी पडती हैं, उत्पाद को अपने वेयरहाउस में भी हाईजेनिक तरीके से रखना पड़ता है, जो कि ई कॉमर्स पर लागू नहीं होता है। ई कॉमर्स पर नियर एक्सपायरी फूड प्रोडक्ट भी डिलीवरी किये जाते हैं जबकि एक दुकान पर जाकर उपभोक्ता नियर एक्सपायरी आइटम को लेने से परहेज करते हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी हाल ही में इसपर कड़ी आपत्ति जताई है।मंत्रालय को इसकी समीक्षा भी समीक्षा करनी चाहिए।

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