इंटरनेशनल कांफ्रेंस में सस्टेनेबल ट्रांज़िशन के लिए फाइनेंसिंग मेकेनिज्म, नवाचार एवं संस्थागत ढांचा तैयार करने पर जोर

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रांची (झारखंड), 15 फरवरी 2024: आज दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस ‘सस्टेनेबल जस्ट ट्रांज़िशन फॉर फ्यूचर रेडी झारखंड’ का समापन समावेशी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ जस्ट ट्रांज़िशन से संबंधित विविध प्रयासों को एकीकृत एवं प्रभावी बनाने के आह्वान के साथ हुआ। एनर्जी एवं सस्टनेबिलिटी क्षेत्र से जुड़ी दुनिया भर की प्रभावशाली हस्तियों सहित लगभग तीस देशों के विविध स्टेकहोल्डर्स इस कांफ्रेंस के जरिये भारत एवं झारखंड में जस्ट ट्रांजिशन के प्रयासों में ज्ञान एवं तकनीकी विशेषज्ञता साझा करने पर पर सहमत हुए।
कांफ्रेंस में गहन विचार-विमर्श से कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आये। इनमें जस्ट ट्रांज़िशन के कदमों को गति देने के लिए फाइनेंसिंग ढांचे को निर्मित करना, निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए समुचित नीतिगत परिवेश का निर्माण करना और स्टेकहोल्डर्स के बीच ज्ञान एवं साझेदारी को बढ़ावा देना प्रमुख थे। कार्यक्रम का आयोजन टास्क फोर्स-सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन (झारखंड सरकार) द्वारा सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड), यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी-इंडिया) और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट, इंडिया के सहयोग से हुआ।
कार्यक्रम के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री अविनाश कुमार (आईएएस), विकास आयुक्त और अपर मुख्य सचिव, ऊर्जा विभाग (झारखंड सरकार) ने सततशील भविष्य एवं हरित विकास के लिए एनर्जी ट्रांजिशन को अनिवार्य बताया। उन्होंने ट्रांजिशन प्रक्रिया में सामाजिक आकांक्षाओं, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन साधने करने पर जोर दिया। उन्होंने सस्टेनेबल ट्रांज़िशन से संबंधित संस्थागत ढांचा तैयार करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के निष्कर्ष नीति निर्धारण के लिए विचारणीय बिंदु हैं।
श्री अजय कुमार सिंह (आईएएस), प्रधान सचिव, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग (झारखंड सरकार) ने बताया कि ग्रीन इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी, बहुपक्षीय और अन्य स्रोतों से क्लाइमेट फाइनेंस की समुचित व्यवस्था आवश्यक है। इन्हें दीर्घकालिक निवेश के रूप में उन परियोजनाओं की ओर निर्देशित किया जाये, जो अक्षय ऊर्जा, जलवायु अनुकूलता और वैकल्पिक आजीविका को बढ़ावा देते हैं।
इस अवसर पर सुश्री वंदना डाडेल (आईएएस), प्रधान सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग (झारखंड सरकार) ने कहा कि सस्टनेबिलिटी और इन्क्लूसिविटी सस्टेनेबल ट्रांज़िशन के मूल सिद्धांत है। राज्य में पंचायत स्तर से विकेंद्रीकृत योजना, क्लाइमेट रेसिलिएंट के उपायों में आदिवासी ज्ञान का समावेश, समुदायों एवं अन्य स्टेकहोल्डर्स का क्षमता वर्धन आदि कदम सस्टेनेबल ट्रांज़िशन को प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।
कार्यक्रम के निष्कर्षों के बारे में श्री ए.के. रस्तोगी (आईएफएस, सेवानिवृत्त), अध्यक्ष, टास्क फोर्स-सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन (झारखंड सरकार) ने बताया कि सभी स्टेकहोल्डर्स ने फाइनेंसिंग का संस्थागत ढांचा तैयार करने, एक विशेष ट्रांज़िशन फंड बनाने, और क्लीन एनर्जी से जुड़े इकोसिस्टम तैयार करने पर जोर दिया, ताकि ट्रांजिशन की प्रक्रिया सुगम हो सके। झारखंड में नॉलेज हब और सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाने पर भी जोर दिया गया। कांफ्रेंस ने प्राथमिकता के रूप में वित्त संसाधनों और तकनीकी विशेषज्ञता जुटाने, नए पायलट प्रोजेक्ट करने, क्षमता वर्धन बढ़ाने पर जोर दिया, ताकि राज्य में समावेशी विकास लक्ष्यों को हासिल किया जा सके।
कार्यक्रम में जिन प्रमुख अधिकारियों ने विचार व्यक्त किये, उनमें श्री अबूबाकर सिद्दीकी पी. (आईएएस), सचिव, खान एवं भूतत्त्व विभाग; श्री जीतेन्द्र कुमार सिंह (आईएएस), सचिव, उद्योग विभाग; श्री अरवा राजकमल (आईएएस), सचिव, एसटी, एससी, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग; श्री अमित कुमार (आईएएस), निदेशक, राज्य शहरी विकास एजेंसी; सुश्री दीप्ति जयराज (आईआरएस), विशेष सचिव, वित्त विभाग; सुश्री माधवी मिश्रा (आईएएस), प्रबंध निदेशक, झारखंड औद्योगिक बुनियादी ढांचा विकास निगम; श्री संजीव कुमार (आईएफएस), एपीसीसीएफ-कैम्पा , झारखंड प्रमुख थे।
इस मौके पर सीड के सीईओ श्री रमापति कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ग्लोबल नॉर्थ एवं साउथ के देशों में जस्ट ट्रांज़िशन से जुड़े कदमों के परिप्रेक्ष्य में झारखंड भी वैश्विक क्लाइमेट एक्शन के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इसी कड़ी में क्रॉस-सेक्टोरल ट्रांजिशन रोडमैप विकसित किया जा रहा है। उन्होंने समाज के अंतिम लोगों तक विकास का लाभ पहुंचाने के लिए अंतर-क्षेत्रीय सहयोग, कन्वर्जेन्स और तकनीकी साझेदारी पर जोर दिया।
दूसरे दिन के तकनीकी सत्रों में आर्थिक विविधीकरण, पुनरुपयोग एवं सामाजिक सुरक्षा के रास्ते, डीकार्बनाइज्ड फ्यूचर की कल्पना, सततशील परिवहन में बदलाव और क्लाइमेट फाइनेंस के प्रमुख उत्प्रेरक एवं स्रोतों आदि विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, उद्योग प्रतिनिधियों, एनर्जी एक्सपर्ट्स, फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स, और सिविल सोसाइटी की सक्रिय भागीदारी क्षेत्रीय स्तर पर एक सततशील एनर्जी ट्रांजिशन की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
कांफ्रेंस में यूएनडीपी इंडिया, डब्ल्यूआरआई इंडिया, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, कोल इंडिया लिमिटेड, सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी इंडिया लिमिटेड, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन, भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी रही। इसके साथ ही जीआईजेड-इंडिया, ओपन एनर्जी ट्रांजिशन-जर्मनी, इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन, इंटरनेशनल एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आइफा), आईफॉरेस्ट ग्लोबल, क्लाइमेट ग्रुप, क्लाइमेट पॉलिसी इंस्टीट्यूट, क्लाइमेट बॉन्ड इनिशिएटिव आदि संस्थाओं के वरीय पदाधिकारियों ने भी अपने विचार रखे।

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