विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर श्री अग्रसेन स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम

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तनाव में भी जीने की चाह कभी न छोड़ें : डॉ सिद्धार्थ

रांची: विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर शनिवार को श्री अग्रसेन स्कूल भुरकुंडा में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसका उद्घाटन रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा, स्कूल के निदेशक प्रवीण राजगढ़िया व काउंसेलर मुख्तार सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। डॉ सिन्हा को पौधा व शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया। डॉ सिन्हा ने कहा कि अवसाद, मानसिक विकार, नशे का सेवन, अत्यधिक तनाव, सामाजिक या पारिवारिक अलगाव आदि वजहों से लोग आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। आत्महत्या का प्रयास गलत कदम है। इसे रोकने के लिए मनुष्य के अंदर इन लक्षणों को पहचान कर उसे डॉक्टर के संपर्क में लाना आवश्यक है, ताकि समय पर उसका इलाज हो सके। इस वर्ष के थीम क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन पर चर्चा करते हुए कहा कि आत्महत्या करने के बारे में सोचने वाले लोगों को कभी भी जीने की चाह नहीं छोड़नी चाहिए। आज अवसाद कॉमन हो गया है। इसकी दवा उपलब्ध है। यदि 14 दिन से अधिक समय तक नेगेटिव ख्याल आता रहे तो यह अवसाद का लक्षण हो सकता है। इसलिए इसे छिपाएं नहीं, बल्कि शेयर करें। ब्रेन में दो केमिकल का लेवल कम होने से डिप्रेशन होता है। लोग इसे समय पर नहीं पहचान पाते हैं। डिप्रेशन का इलाज दवाइयों व कांउसिलिंग दोनों से किया जाता है। किसी भी मामले में व्यक्ति के लिए केवल मोटिवेशन जरूरी नहीं है, बल्कि साथ में इलाज भी किया जाना जरूरी है। इसलिए मनोचिकित्सक से मिलने में देर न करें। डॉ सिन्हा ने कहा कि देर रात तक मोबाइल के इस्तेमाल से स्लीप साइकिल गड़बड़ हो जाती है। इससे याददाश्त कमजोर होता है। इसलिए रात्रि 9 बजे के बाद मोबाइल न चलाएं। आज के समय में बच्चों की अच्छी-बुरी डिमांड पूरी नहीं होने पर उनमें इरिटेशन की समस्या कॉमन होती जा रही है। यदि समस्या छह महीने से ज्यादा समय तक बनी रहती है, जरूर डॉक्टर से मिलें। जीपीएमआर तकनीक से इसका इलाज किया जाता है।
डॉ सिन्हा ने कहा कि डिप्रेशन के शिकार लोग नशे की तरफ आसानी से बढ़ते हैं। नशा उन्हें अच्छा लगने लगता है। जहां पहले एक छोटी से गोली से उनके डिप्रेशन का इलाज हो सकता था, वह अब नशे के सेवन से खुद को राहत पहुंचा रहे हैं, जो घातक बात है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि विद्यालय के शिक्षक बच्चों को सही राह दिखाने का रोल प्ले करते हैं। यदि बच्चों को दिक्कत हो, तो उन्हें शिक्षक से यह बात जरूर शेयर करना चाहिए। रांची का रिनपास मनोचिकित्सा का मंदिर है। जहां इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। लोगों को निःसंकोच आकर मिलना चाहिए।

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