रांची : हर साल अक्टूबर में दुनिया भर में स्तन कैंसर जागरूकता माह मनाया जाता है, और इसी उपलक्ष्य में टाटा ट्रस्ट्स ने रांची में एक अनोखे कार्यक्रम ‘गाँठ पे ध्यान’ को लॉन्च किया है, जो अपने आप में एक अनूठी पहल है। ‘गाँठ पे ध्यान’ कार्यक्रम दरअसल टाटा ट्रस्ट्स द्वारा बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे ‘कैसे का कैंसर’ अभियान का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इस विषय पर जागरूकता फैलाना, खुली बातचीत को प्रोत्साहित करना तथा जमीनी स्तर पर महिलाओं के बीच खुद से स्तन की जाँच करने की अहमियत को बढ़ाकर स्तन कैंसर के प्रति सामुदायिक कार्रवाई को आगे बढ़ाना है, जिसके लिए इस विषय को ‘भोजन में गाँठ’ के व्यावहारिक उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया गया है।.भारत में स्तन कैंसर से प्रभावित महिलाओं का अनुपात असमान रूप से ज्यादा है, तथा देश में स्तन कैंसर के 50 प्रतिशत से अधिक मामलों का पता इसके अंतिम चरण में चल पाता है। इस विषय पर जागरूकता की कमी की वजह से ही इसके डायग्नोसिस और इलाज में देरी होती है, और अगर जल्दी पता न लगाया जाए तो यह जानलेवा हो सकता है। टाटा ट्रस्ट्स महिलाओं के साथ सीधे जुड़कर, और उन्हें शुरुआती चरण में ही इसका पता लगाने अहमियत के बारे में जानकारी देकर, इस मुद्दे का पासा पलटने के लिए इरादे पर अटल है। देश की ज्यादातर महिलाओं, खास तौर पर ग्रामीण इलाकों की अधिकांश महिलाओं के लिए अपने परिवारों के लिए भोजन पकाना उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्सा है। महिलाएँ खाना पकाते समय हर चीज का बारीकी से ध्यान रखती हैं, और पकाए जाने वाले भोजन में गाँठों को बनने से रोकने के लिए विशेष सावधानी बरतती हैं, और इसी बात से प्रेरित होकर ‘गाँठ पे ध्यान’ अभियान की शुरुआत की गई है। यह अभियान बड़े शानदार तरीके से एक विचार का बीज बोता है, जो महिलाओं से अपनी सेहत के लिए भी उतनी ही तत्परता बरतने तथा “गाँठ” के किसी भी लक्षण के लिए नियमित रूप से अपने स्तनों की खुद से जाँच करने का आग्रह करता है, जो कैंसर से संबंधित हो सकता है। रांची कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (आरसीएचआरसी) में जमशेदपुर की प्रमुख शेफ एवं उद्यमी, प्रिया गुप्ता के साथ मिलकर ‘गाँठ पे ध्यान’ पहल का लॉन्च कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें केवल स्थानीय समुदायों की महिलाएँ ही मौजूद थीं और इस दौरान परस्पर बातचीत पर आधारित पाककला प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया, जिसमें शेफ गुप्ता ने त्योहारों के मौके पर बनाए जाने वाले स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए। पूरे प्रदर्शन के दौरान, उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि किस तरह भोजन तैयार करते समय गाँठें किसी भी व्यंजन के स्वाद और बनावट को बर्बाद कर सकती हैं, साथ ही उन्होंने बताया कि यही बात स्तन कैंसर की गाँठों पर भी लागू होती है। यही उदाहरण ‘गाँठ पे ध्यान’ पहल का सबसे अहम हिस्सा बना, जिसके ज़रिये महिलाओं को खुद से स्तन की जाँच करके अपने शरीर की उसी तरह से देखभाल करने और ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिस तरह वे त्योहारों के मौके पर अपने पसंदीदा व्यंजनों में गाँठों को रोकने पर ध्यान देती हैं। प्रदर्शन की समाप्ति के बाद, 400 से अधिक महिलाओं को आरसीएचआरसी सुविधा में ब्रेस्ट कैंसर की जांच का अवसर दिया गया।
शेफ गुप्ता के साथ विवांता, डीएन स्क्वायर, भुवनेश्वर की शेफ लाएबा अशरफ़ भी शामिल हुईं, जिन्होंने न केवल स्तन में गाँठों की जाँच करने की जरूरत पर बल दिया, बल्कि उन्होंने अपनी दादी के स्तन कैंसर का जल्दी पता लगने के कारण जीवित रहने की उम्मीद की कहानी भी साझा की।
दो शेफ के अलावा, डॉ. सुजाता मित्रा, निदेशक, मेहरबाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल एवं एचओडी, न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग, टाटा मेन हॉस्पिटल, जमशेदपुर ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान, डॉ. रजनीगंधा टुडू, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रांची कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ने कहा, “स्तन कैंसर का शुरुआती चरण में पता लगाने और इसके सही समय पर इलाज के लिए खुद से जाँच करना सबसे जरूरी कदम है, और ‘गाँठ पे ध्यान’ पहल में भी इसी बात पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया है। कैंसर से बचाई गई जिंदगियाँ बनाम कैंसर की वजह से होने वाली मौतों की बात की जाए तो, भारत में फिलहाल यह अनुपा 30:70 है, जो बड़ी गंभीर बात है और देर से पता चलना ही इसकी सबसे बड़ी वजह है। कैंसर के बारे में और इसकी जल्दी पहचान के फायदों के बारे में जागरूकता की कमी के कारण यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को प्रभावित करता है। हमने इस कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय समुदायों की महिलाओं के साथ सीधे तौर पर बातचीत की, ताकि उन्हें आवश्यक ज्ञान के साथ सशक्त बनाया जा सके, जिससे वे अपनी सेहत की जिम्मेदारी खुद ले सकें और शुरुआती चरणों में स्तन कैंसर का पता लगा सकें। हम इस पहल में हमारे साथ जुड़ने और उपस्थित लोगों के साथ बातचीत करने और इस नेक काम में अपना सहयोग देने के लिए शेफ प्रिया और शेफ लाएबा के आभारी हैं।
टाटा ट्रस्ट्स हमेशा से ही कैंसर देखभाल संबंधी पहलों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और 2017 में बड़े पैमाने पर शुरू किए गए कैंसर देखभाल कार्यक्रम के साथ अपने सहयोग को और मजबूत किया है। टाटा कैंसर केयर फाउंडेशन के माध्यम से अमल में लाए जा रहे ट्रस्ट्स के वितरित कैंसर देखभाल मॉडल का मुख्य उद्देश्य स्क्रीनिंग, समान रूप से उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं, किफायती उपचार और रोग को दूर करने वाली देखभाल सुविधाओं को सभी के लिए सुलभ बनाना है।
टाटा ट्रस्ट्स की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर ‘कैसे का कैंसर’ अभियान चलाया जा रहा है, जो भारत में कैंसर के मामलों के भारी बोझ को कम करने की दिशा में इसके निरंतर प्रयासों का एक हिस्सा है। इस साल फरवरी में शुरू किये गए इस अभियान में सभी को पसंद आने वाली 3 शानदार फिल्में शामिल हैं, जिसे सोशल और डिजिटल मीडिया पर 20 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है।
इस प्रयास में रांची को विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है, जहाँ इस साल की शुरुआत में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने टाटा ट्रस्ट्स द्वारा समर्थित टाटा कैंसर केयर फाउंडेशन की एक इकाई RCHRC का उद्घाटन किया था और इस अवसर पर श्री नोएल एन टाटा, ट्रस्टी, टाटा ट्रस्ट्स और श्री सिद्धार्थ शर्मा, सीईओ, टाटा ट्रस्ट्स भी उपस्थित थे। अस्पताल इस क्षेत्र में सद्भाव के साथ, बेहतर गुणवत्तायुक्त और किफायती कैंसर देखभाल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
‘गाँठ पे ध्यान’ पहल के अगले चरण लिए टाटा ट्रस्ट्स सेलिब्रिटी शेफ शिप्रा खन्ना और पारुल गुप्ता के साथ साझेदारी करेगा, तथा इस अनोखी अवधारणा को आगे बढ़ते हुए उनके डिजिटल चैनलों और सोशल मीडिया के माध्यम से बड़ी संख्या में उनके फॉलोअर्स के बीच खुद से स्तन की जाँच करने की अहमियत को समझाएगा।
टाटा ट्रस्ट्स का परिचय
टाटा ट्रस्ट्स भारत में जनकल्याण के लिए गठित सबसे पुरानी संस्था है जिसकी स्थापना वर्ष 1892 में हुई थी। स्थापना के बाद से ही इस संस्थान ने उन समुदायों के जीवन में स्थायी बदलाव लाने में अग्रणी भूमिका निभाई है, जिनकी यह सेवा करता है। यह ट्रस्ट अपने संस्थापक, जमशेदजी टाटा के सिद्धांतों और सक्रियतापूर्वक जनकल्याण के उनके दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, जल, स्वच्छता, स्वच्छता और आजीविका के क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहन देना है। ट्रस्ट ने 1941 में टाटा मेमोरियल अस्पताल की स्थापना के बाद से कैंसर देखभाल के क्षेत्र में आगे बढ़कर प्रयास किए हैं। टाटा ट्रस्ट्स ने वर्ष 2017 में अपने व्यापक कैंसर देखभाल कार्यक्रम को लागू करने के लिए टाटा कैंसर केयर फाउंडेशन (जिसे पहले अलामेलु चैरिटेबल फाउंडेशन के नाम से जाना जाता था) की स्थापना की, जो पहुंच, सामर्थ्य, गुणवत्ता और जागरूकता के चार स्तंभों पर आधारित है। इस दिशा में प्रयासों को आगे बढ़ते हुए देश के छह राज्यों— आंध्र प्रदेश, असम, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक में राज्य सरकारों और समान विचारधारा वाले संगठनों के सहयोग से 20 से ज्यादा सुविधाओं का विकास और संवर्द्धन किया गया है। यह ट्रस्ट मरीजों तथा उनके परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हुए बढ़ती जागरूकता और स्क्रीनिंग को बढ़ाकर कैंसर का जल्दी और देर से पता लगाने के अनुपात को कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि कैंसर के प्रभाव को काम किया जा सके।