पश्चिम बंगाल के चितरंजन से एक 35 वर्षीय महिला अपना इलाज कराने राँची आई थी। पिछले 6 महीने से अत्यधिक रक्तस्राव और पेट में दर्द से परेशान थी।
मरीज छह माह से पेट में दर्द की शिकायत के साथ गंभीर स्थिति में राँची के पारस एचईसी अस्पताल आयी थी । अस्पताल में डॉ अंशु अग्रवाल ने जाँच में पाया की महिला के पेट में एक बहुत बड़े आकार (12×12 सेमी) का ट्यूमर (फाइब्रॉइड) था (जिसके कारण महिला को पीरियड्स के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव होता था और उसके पेट में बहुत दर्द होता था)। सामान्यतः इतना बड़ा ट्यूमर बहुत कम लोगों को ही होता है। पारस अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अंशु अग्रवाल ने तत्काल महिला के पति को इसकी जानकारी दी और सर्जरी के द्वारा ट्यूमर (फाइब्रॉइड) को हटा दिया गया। सर्जरी सफल रही। सर्जरी के अगले ही दिन मरीज़ उठने में सक्षम हो गया और सामान्य भोजन लेने लगी । सर्जरी के बाद मरीज और उसके पति दोनों खुश थे। डॉक्टर ने बताया कि वह पिछले छह महीने से पेट दर्द से पीड़ित थी। दर्द बहुत तेज था और वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। अनीमिया हो जाता है।
अधिकतर मामलों में बीमारी की मुख्य वजह बने छोटे ट्यूमर का सर्जरी नहीं किया जा सकता है। ट्यूमर मुख्यतः तीन तरह के होते हैं- बाहरी सतह पर, यूटेरस की भीतरी दीवारों पर तथा यूटरस के कैविटी के भीतर। रोगसूचक छोटे ट्यूमर में दवाएं दी जा सकती हैं। लेकिन इस मरीज में ट्यूमर बहुत बड़ा और रोग का कारण था। इस मामले में रक्तस्राव बहुत अधिक हो सकता है और रोगी को पेट में असहनीय दर्द, बांझपन, मूत्र संबंधी बीमारी जैसे बार-बार पेशाब आना तथा कब्ज हो सकता है। लेकिन सही समय पर सही उपचार के बाद ट्यूमर को हटाया जा सकता है और रोका जा सकता है।
पारस अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अंशु अग्रवाल सभी महिलाओं को सलाह देते हुए कहती हैं कि ट्यूमर को हटाने के बाद भविष्य में 6 महीने तक गर्भधारण न करने की सलाह दी जानी चाहिए और गर्भधारण के बाद ऑपरेशन से ही प्रसव कराना चाहिए, वह भी विशेषज्ञ के हाथों से । मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्राव होता है जो एनीमिया का कारण बन सकता है। गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय या गर्भ में गैर-कैंसरजन्य वृद्धि/ट्यूमर है जो महिलाओं में रोग का एक सामान्य कारण है। फाइब्रॉएड का कोई भी लक्षण ना दिखानेवाला भी हो सकता है या निम्न लक्षणों में से एक हो सकता है।
- भारी, लंबे समय तक रक्तस्राव
- अनियमित माहवारी
- खून की कमी के परिणामस्वरूप जल्द ही थकावट
- माहवारी के दौरान अत्यधिक दर्द होना
- संभोग के दौरान दर्द
- बार-बार पेशाब करने की जरूरत महसूस होना
- कब्ज या सूजन
- गर्भ धारण करने में असमर्थता (बांझपन)
उपरोक्त कोई भी समस्या होने पर तत्काल खून की जांच और यूएसजी करानी चाहिए साथ ही जल्द से जल्द चिकित्सक से मिलें और अपना उपचार करायें।