रांची: पारस एचइसी हॉस्पिटल रांची में दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी से जुझ रहे एक साढे सात वर्षीय बच्चे का सफलतापूर्वक उपचार किया गया। उस मरीज को एक महीने पहले तेज बुखार आने के बाद अचानक बेहोशी और शरीर के हाथ-पैरों में पूरी तरह लकवा जैसा लक्षण हो गया था। परिजन जब बच्चे को पारस एचइसी हॉस्पिटल लाए, उस समय मरीज बिल्कुल बेहोश था और किसी अंग में कोई मूवमेंट नहीं हो रहा था।
हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ संजीव कुमार शर्मा ने जांच के दौरान एमआरआई में पाया गया कि बच्चे के ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड की कई परतें प्रभावित होकर झड़ चुकी थीं। इसके बाद कमर से पानी (सीएसएफ) जांच व रक्त जांच की गई, जिसमें एक्यूट डिमाइलिनेटिंग डिसऑडर्र सामने आया। यह स्थिति माइलिन ऑलिगोडेंड्रोसाइट ग्लाइकोप्रोटीन एसोसिएटेड डिजीज (एमओजीएडी) नामक दुर्लभ बीमारी के कारण विकसित हुई थी, जो बच्चों में तीव्र लकवे जैसी स्थिति पैदा कर सकती है। समय पर सही जांच और उपचार शुरू होने के केवल दो दिनों के भीतर मरीज को होश आ गया। उपचार जारी रहने पर स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन की परतों में सुधार दिखा और बच्चा एक महीने के भीतर फिर से चलने-दौड़ने लगा। वर्तमान में मरीज नियमित फॉलो-अप में है और पूरी तरह स्वस्थ है। त्वरित चिकित्सा और विशेषज्ञ टीम की एकजुट कोशिश से बच्चे की जान बच पाई।
डॉ संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि इस बीमारी में समय पर पहचान और तत्काल इलाज बेहद जरूरी है। इलाज में देरी होने पर मरीज पूरी तरह पैरालाइज्ड हो सकता है। बच्चे की जान बचाने में त्वरित चिकित्सा और विशेषज्ञ न्यूरोलॉजी टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। डॉ शर्मा ने कहा कि इस तरह के मरीज का सही समय पर आना, इस बीमारी के बारे में पता चलना और सही डॉक्टर के पास इलाज करना यह सबसे अनिवार्य है।
पारस हॉस्पिटल एचईसी के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ नीतेश कुमार ने कहा कि इस तरह के जटिल न्यूरोलॉजिकल मामलों में त्वरित निर्णय, सटीक जांच और अनुभवी डॉक्टरों का उपचार बेहद आवश्यक होता है। हमारी टीम ने बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए तुरंत आपात स्तर पर काम शुरू किया और परिणाम सभी के लिए सुखद रहे। पारस एचईसी हॉस्पिटल रांची हमेशा गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए तैयार है और हम झारखंड के लोगों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।
