‘विकसित और आत्मनिर्भर भारत के लिए स्टेम (विज्ञान, प्राद्योगिकी, अभियंत्रण एवं गणित)’ की थीम पर सरला बिरला पब्लिक स्कूल, रांची में सीबीएसई क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी 2025-26 का शुभारंभ बड़े उत्साह और गरिमा के साथ किया गया। यह दो दिवसीय प्रदर्शनी नवाचार, जिज्ञासा और वैज्ञानिक उत्कृष्टता का उत्सव है, जिसमें युवा विद्यार्थियों को अपनी रचनात्मकता, शोध और समस्या-समाधान क्षमता प्रदर्शित करने का अवसर मिल रहा है। इस क्षेत्र के 45 से अधिक विद्यालयों के छात्र-छात्राएं इसमें भाग ले रहे हैं। यह प्रदर्शनी प्रतिभाशाली छात्रों के लिए एक सजीव मंच साबित हो रहा है।
कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने के लिए कई विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रही। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में श्री राम वीर, सीबीएसई रीजनल आॅफिसर ने अपनी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। विद्यालय को प्रो. (डा.) गोपाल पाठक, डायरेक्टर जनरल, सरला बिरला विश्वविद्यालय, रांची, प्रो. (डा.) जगनाथन चोकलिंगम, कुलपति, सरला बिरला विश्वविद्यालय, रांची तथा प्रो. एस. बी. डंडिन, रजिस्ट्रार, सरला बिरला विश्वविद्यालय, रांची की उपस्थिति का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। छह निर्णायकगण तथा विभिन्न विद्यालयों के प्राचार्यगण भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
उद्घाटन समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद एक मधुर स्वागत गीत ने पूरे वातावरण को आनंदित कर दिया तत्पश्चात् विद्यालय के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों द्वारा नृत्य नाटिका “उन्नति की उड़ान” ने भारत के 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने के स्वप्न को सजीव रूप में प्रस्तुत किया। रंगीन कोरियोग्राफी और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत इस प्रस्तुति ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया और प्रदर्शनी के विषय को पूरी तरह अभिव्यक्त किया।
औपचारिक उद्घाटन के बाद आगंतुकों ने विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शित विभिन्न नवाचारों और मॉडलों का अवलोकन किया, जो सतत विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, रोबोटिक्स, पर्यावरण संरक्षण और तकनीकी नवाचार पर आधारित थे। छात्रों द्वारा प्रस्तुत विज्ञान मॉडल सतत कृषि, गणितीय मॉडलिंग, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, हरित ऊर्जा, उभरती प्रौद्योगिकियां, अपशिष्ट प्रबंधन एवं प्लास्टिक के विकल्प, जल संरक्षण एवं प्रबंधन जैसे विषयों पर आधारित थे जो सभी “विकसित और आत्मनिर्भर भारत” की भावना को प्रतिबिंबित कर रहे थे।
मुख्य अतिथि श्री राम वीर, क्षेत्रीय अधिकारी, सीबीएसई, रांची ने 21वीं सदी में स्टेम शिक्षा के बढ़ते महत्व पर बल दिया और बताया कि इसका उपयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कृषि और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे विविध क्षेत्रों में हो रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे कक्षा में सीखे गए ज्ञान को वास्तविक जीवन की समस्याओं के समाधान में लागू करें। उन्होंने सरला बिरला पब्लिक स्कूल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार का मंच युवा मस्तिष्कों को प्रेरित करता है और विद्यालयों को अनुभवात्मक शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करता है।
अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. (डा.) गोपाल पाठक, निदेशक जनरल, सरला बिरला विश्वविद्यालय, रांची ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी “विकसित भारत” और “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने भारत के प्राचीन से लेकर आधुनिक काल तक के वैज्ञानिक योगदानों पर प्रकाश डालते हुए युवाओं से इस गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती मनीषा शर्मा ने इस प्रतिष्ठित आयोजन की मेजबानी करने पर गर्व और कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने विद्यालय की उस दृष्टि पर जोर दिया जो विद्यार्थियों में अनुसंधान-आधारित शिक्षण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि स्टेम केवल विषयों का समूह नहीं, बल्कि सोचने का एक तरीका है जो सहयोग, आलोचनात्मक विश्लेषण और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
यह दो दिवसीय प्रदर्शनी 12 नवम्बर 2025 तक चलेगी। इसमें इंटरएक्टिव सत्र, लाइव डेमो और सीबीएसई द्वारा नियुक्त निर्णायकों द्वारा मूल्यांकन शामिल हैं। यह आयोजन सरला बिरला पब्लिक स्कूल की अनुभवात्मक शिक्षण, नवाचार और शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
