दिनांक ४ मार्च २०२५ को राष्ट्रपति भवन में डॉ स्टेफी टेरेसा मुर्मू,झारखंड की बेटी, रसिक गौरबी बेसरा मेमोरियल ट्रस्ट की संचालिका,समाज सेविका, असिस्टेंट प्रोफेसर राँची विश्व विद्यालय पत्रकारिता विभाग में कार्यरत ने महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से औपचारिक मुलाक़ात की और उन्होंने कई मुद्दों पर गंभीरता से बात किया जैसे आदिवासी समाज के कस्टमरी लॉ के बारे में बात किया, आदिवासी कला संस्कृति के बारे में बात हुई, भाषा के माध्यम से आदिवासी समाज के लोगों को सम्मान दिलाने की बात हुई । राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में संथाल कठपुतली चदौर बादोर नी को राष्ट्रपति द्वारा जगह देने के लिए महामहिम का धन्यवाद किया, साथ ही साथ कठपुतली कला के कलाकार को पद्मश्री पुरस्कार देने की अर्जी की, बताते चले की रसिक गौरबी बेसरा मेमोरिया ने २०२३ में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के साथ मिलकर स्थनीय संथाल कलकारों द्वारा चदौर बादोर नी का निर्माण किया था जो आज राष्ट्रपति भवन में सुसज्जित है । चदौर बादोर नी संथाल जनजाति की विलुप्त होती हुई कठपुतली कला है जिसमें सिर्फ एक ही जीवित कलाकार है, इस कला को संग्रक्षण की अति आवश्यकता है, आधुनिकरण के युग में इस कला को बढ़ावा देने की ज़रूरत है, क्योंकि इसके कलाकारों को उचित मूल्य और सम्मान नहीं मिलता है और ये कला विलुप्ति के कगार पर आ पहुँचा हैं । डॉ स्टेफी टेरेसा मुर्मू हमेशा से ही अपने कला संस्कृति के प्रति मुखर रही है और अपनी कला संस्कृति के धरोहर पर गर्व करती है और अपनी संस्कृति को उचित सम्मान दिलाने के लिए कटिबद्ध हैं ।