आज लोकतंत्र बचाओ अभियान ने विधान सभा चुनाव व राज्य की ज़मीनी परिस्थिति पर रांची में एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया. सम्मेलन में राज्य के विभिन्न विधान सभा क्षेत्रों से 100 से ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ता व जन संगठन के प्रतिनिधि भाग लिए. सम्मेलन में एक स्वर में निर्णय लिया गया कि विधान सभा चुनाव में झारखंड में भाजपा की डबल बुलडोज़र सरकार बनने नहीं दिया जायेगा.
सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि रघुबर सरकार के कार्यकाल में भाजपा के डबल बुलडोज़र का जन विरोधी चेहरा उजागर हो गया था. उसके बाद भी आरएसएस और भाजपा लगातार साम्प्रदायिकता फ़ैलाकर झारखंडी समाज को कमज़ोर कर रही है. भाजपा हेमंत सोरेन सरकार द्वारा पारित सरना कोड, पिछड़ों के लिए 27% आरक्षण व खतियान आधारित स्थानीयता नीति पर न केवल चुप्पी साधी हुई हैं बल्कि इन्हें रोकने की पूरी कोशिश करते रही हैं. वक्ताओं ने कहा कि पिछले पांच सालों में भाजपा ने आदिवासियों-मूलवासियों द्वारा चुनी हुई सरकार को बार-बार गिराने की कोशिश की. यहां तक कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फ़र्ज़ी आरोप पर गिरफ्तार कर 5 महीनों तक जेल में रखा.
वक्ताओं ने यह भी ध्यान दिलाया कि पिछले 10 सालों में जिन राज्यों में भी डबल बुलडोज़र भाजपा की सरकार बनी है, उन राज्यों के आदिवासियों, दलितों, अतिपिछड़ों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर लगातार प्रहार हुए हैं. संसाधनों को लूटा गया है. जैसे, छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतकर सरकार बनाते ही भाजपा ने अडानी को खनन के लिए तोहफा देने के लिए आदिवासियों के हसदेव अरण्य जंगल पर अर्धसैनिक बलों की फौज उतार कर रातों रात जंगल का सफाया शुरू कर दिया. उत्तर प्रदेश में दलितों और मुसलमानों पर व्यापक हिंसा हो रही है. सभी राज्यों में दलितों पर जातिवादी हिंसा बढ़ गयी है. अल्पसंख्यकों के घरों पर जबरन बुलडोज़र चलाया जा रहा है.
सम्मेलन में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता हेमलाल मुर्मू भाग लिए. उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य में बंगलादेशी घुसपैठी के नाम पर साम्प्रदायिकता फ़ैलाके झारखंडी समाज को तोड़ने की कोशिश कर रही है. भाजपा के अन्य राज्यों के नेता झारखंड में आकर आदिवासियों की बात कर रहे हैं लेकिन अपने राज्यों में मानव अधिकारों का , खासकर आदिवासियों के अधिकारों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं. संथाल परगना में लोगों ने उसकी राजनीति को नकार दिया है. भाकपा (माले) लिबरेशन के राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि भाजपा राज्य के हर वंचित वर्ग -–आदिवासी, दलित, मज़दूर, पिछड़े – की पहचान व जन मुद्दों को खत्म कर के धार्मिक पहचान बनाकर साम्प्रदायिकता फ़ैलाने का काम कर रही है. राज्य में रोज़गार न मिलने का एक बड़ा कारण है भाजपा द्वारा विभिन्न सरकारी उपक्रमों व खदानों का निजीकरण. सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने भाजपा के आदिवासी विरोधी रवैये और पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में लगातार हमलों पर ध्यान केन्द्रित किया.
साथ ही, सम्मेलन में आये लोगों ने अपने क्षेत्र के कई जन मुद्दों को भी उठाया जिस पर हेमंत सोरेन सरकार ने अभी तक जन अपेक्षा अनुरूप कार्यवाई नहीं की है. पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा राज्य के 22 लाख एकड़ गैर-मजरुआ व सामुदायिक ज़मीन को लैंड बैंक में डाला गया था जिसे तुरंत रद्द करने की ज़रूरत है. साथ ही, ईचा-खरकाई डैम योजना, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज योजना, भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन, 2017 व लुगु बुरु में पॉवर प्लांट योजना को पूर्ण रूप से रद्द करने की जरूरत है. वन अधिकार कानून अंतर्गत सामुदायिक पट्टों का वितरण किया जाए व वन ग्रामों का नियमतिकरण हो। दलित समुदाय के लिए जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए आवेदकों को तुरंत जाति प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए. साथ ही, भूमिहीन परिवारों, खास कर दलितों, को पर्याप्त भूमि पट्टा आवंटित किया जाए. अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ ने कहा कि मुख्यमंत्री मईयां सम्मान योजना अच्छी पहल है लेकिन सामाजिक सुरक्षा के लिए और प्रतिबद्धता की ज़रूरत है. कई वक्ताओं ने कहा कि INDIA गठबंधन के अनेक विधायक चुनाव जितने के बाद जन मुद्दों से मुकर गए. गठबंधन दलों को ऐसे सीटों पर अपने प्रत्याशी को बदलना चाहिए.
सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि राज्य में लोगों को उनके अधिकारों पर संगठित किया जायेगा ताकि विधान सभा चुनाव में भाजपा की डबल बुलडोज़र सरकार न बने. साथ ही, गठबंधन दलों और हेमंत सोरेन सरकार को जन मुद्दों पर जवाबदेह बनाया जायेगा.
सम्मेलन में अजय एक्का, अंबिका यादव, अरविंद अविनाश,अलोका कुजूर, बिनसाय मुंडा, चंद्रदेव हेमब्रोम, दिनेश मुर्मू, डेमका सोए, कुमारचंद्र मार्डी, किरण, मंथन, मेरी हंसदा, नंदिता भट्टाचार्य, प्रफुल लिंडा, प्रवीर पीटर, जेरोम कुजूर, जॉर्ज मोनीपाल्ली, राजेश प्रधान, रोज खाखा, रिया पिंगुआ, संजू देवी, संदीप प्रधान, सुरेंद्र राम, सिराज दत्ता, शंभू महतो, टॉम कावला समेत कई वक्ताओं ने बात रखी।