रांची: मस्जिद जाफरिया रांची में दस दिवसीय मजलिसे शोहदा ए कर्बला के आठवी मजलिस को ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड झारखंड के चेयरमैन और मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम व खतीब हजरत मौलाना अल्हाज सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि कर्बला के जंग के कमांडर हज़रत अब्बास हजरत अली के बेटे थे। उनके हाथ में हुसैनी परचम था। हजरत अब्बास अपने पिता की तरह बहादुर और साहसी थे। दोनों की बहादुरी का इतिहास में कोई मुकाबला नहीं। हजरत अब्बास कर्बला के वो शहीद हैं जिन्हें इमाम हुसैन ने जंग करने की इजाजत नहीं दी बल्कि उन्होंने बच्चों की प्यास बुझाने के लिए पानी लाने की इजाजत थी। जब हज़रत अब्बास को पानी लाने की इजाज़त दी गयी तो आप अपने अल्म के साथ हज़रत सकीना की ख़िदमत में आ गये। वह कर्बला की सबसे छोटी लड़की थी। वह हुसैन की बेटी थीं। हज़रत सकीना ने चचा अब्बास की मशकीजा पानी लाने का गिलन दिया और वह दरिया की ओर रवाना हो गये। ताकि बच्चों को पीने के लिए कुछ पानी लाया जा सके। लेकिन यजीदी सेना ने इमाम हुसैन के भाई अब्बास को चारों तरफ से घेर लिया और उसका दाहिना हाथ काट दिया। अब्बास ने दूसरे हाथ से पानी उठाया तो दुश्मनों ने उसका दूसरा हाथ भी काट दिया। तब अब्बास ने पानी के गिलन को अपने दांतों से पकड़ लिया। परन्तु दुश्मनों ने उसे भी छेद कर दिया। जिससे पानी कर्बला की ज़मीन पर गिरा। और उसने अब्बास पर ऐसी तलवार मारी कि वह अपने घोड़े पर खड़ा न रह सका, शहीद हो गया। आपके जनाज़े पर हुसैन पहुंचे और कहा,भाई, आपकी मौत से कमर टूट गयी है। दुनिया भर के शिया मुसलमान मुहर्रम की 8 तारीख को हजरत अब्बास की शहादत को याद करते हैं। और आपकी बहादुरी को सलाम। आज की मजलिस मरहूम मोहसिन हुसैन, हुसैन कासिम अली, सैयद अनीस अहमद ने किया। मस्जिद जाफरिया से मातमी जुलूस निकाला गया, जिसके बाद अलम का मातमी जुलूस मस्जिद जाफरिया से निकलकर चर्च रोड, चुना मंदिर, डॉ. फतहुल्लाह रोड होते हुए मस्जिद पहुंचा। इस बीच मातमी जुलूस को अन्य संगठनों के प्रमुखों ने जोरदार स्वागत किया। मौलाना ने कहा कि मुहर्रम की 9 तारीख को रात आठ बजे अनवर टावर पर मजलिस होगी। मजलिस के बाद मातमी जुलूस निकाला जाएगा। जो मुख्य मार्ग, डॉ. फतहुल्लाह रोड होते हुए मस्जिद जाफरिया पहुंचेगी।