केंद्र सरकार के इशारे पर (Enforcement Directorate) ED द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लगातार परेशान किया जाना भारतीय संवैधानिक व लोकतांत्रिक व्यवस्था का खुला मज़ाक है. हेमंत सोरेन जनता द्वारा चुने गए सरकार के मुख्यमंत्री हैं. ED देश के संघीय ढांचे को ताक पर रखकर मुख्यमंत्री को समन पर समन दिए जा रहा है. ED की 29 जनवरी 2024 की कार्यवाई ने तो सभी लोकतांत्रिक सीमाएं पार कर दी, जब उसने मुख्यमंत्री के दिल्ली स्थित आवास पर छापा मारा. लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान इसकी कड़ी निंदा करता है.
हेमंत सोरेन पर कथित रूप से ज़मीन घोटाले व इससे जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप पर ED कार्यवाई कर रही है. मज़ेदार बात है कि यह कार्यवाई ED द्वारा पूर्व में गिरफ्तार किये गए लोगों के बयान के आधार पर की जा रही है. कई गैर-आदिवासी नेताओं व अन्य लोग झारखंड में आदिवासियों की ज़मीन लगातार लूट रहे हैं, लेकिन इस पर केंद्रीय एजेंसियां मौन धारण किये हुई हैं, क्योंकि ऐसे अधिकांश लोग भाजपा से जुड़े हैं या उसके समर्थक हैं. ऐसा लगता है कि ED का मकसद केवल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को घेरकर झारखंड सरकार को अस्थिर करना है. जब से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कांग्रेस-झामुमो-राजद की गठबंधन सरकार बनी है, तब से भाजपा व मोदी सरकार इसे गिराने की लगातार कोशिश किये जा रही है. यह अत्यंत निंदनीय है कि मीडिया का एक बड़ा तबका व भाजपा मुख्यमंत्री को ‘लापता’, ‘भगौड़ा’ जैसे शब्दों से संबोधित कर रहे हैं. इस पूरी कार्यवाई ने भाजपा व मोदी सरकार का आदिवासी व झारखंडी विरोधी चेहरे को बेनकाब कर दिया है.
नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद ED द्वारा जितने भी राजनैतिक नेताओं पर कार्यवाई की गयी है, उनमें 95% विपक्षी नेता ही हैं. इनमें से कई नेता जैसे ही भाजपा या भाजपा-समर्थक दल में जुड़ें, वैसे ही इन पर कार्यवाई बंद हो गयी. भाजपा से जुड़े अनेक नेता व मुख्यमंत्री द्वारा सीधे या उनके संरक्षण में व्यापक भ्रष्टाचार किया गया है, लेकिन इन पर किसी प्रकार की कार्यवाई नहीं की गयी है. यह साफ़ है कि ED मोदी सरकार के इशारे पर भाजपा के राजनैतिक एजेंट के रूप में काम कर रही हैं. मोदी सरकार PMLA में लोकतंत्र-विरोधी संशोधन कर इसे राजनैतिक विपक्ष पर दमन करने के लिए इस्तेमाल कर रही है.
मोदी सरकार व भाजपा का भ्रष्टाचार किसी से छुपा नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा लागू की गयी इलेक्टोरल बांड व्यवस्था से भाजपा को कम-से-कम 13500 करोड़ रु चंदा मिला है जिसका स्रोत छुपाया गया है. नोटबंदी के बाद कई प्रमुख भाजपा नेताओं के कोआपरेटिव बैंकों में सैंकड़ों करोड़ रूपय जमा हुए थे. उस दौरान ही भाजपा कई राज्यों में ज़मीन की खरीददारी किया. भाजपा शासित राज्य सरकारों में विभिन्न घोटाले लगातार हो रहे हैं. मोदी सरकार जनता के टैक्स के पैसे पर खुलकर चुनावी प्रचार कर रही है. कॉर्पोरेट घरानों को देश को बेच कर फाएदा पहुँचाया जा रहा है. महज़ दस साल में भाजपा की संपत्ति 800 करोड़ रु से बढ़कर 6000 करोड़ रु से भी अधीक हो गयी. अगर ED में हिम्मत है, तो भाजपा के नेताओं व पार्टी की जांच करके दिखाए.
ED जैसे संसथान का राजनैतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना मोदी सरकार के संविधान-विरोधी तानाशाही का उदहारण मात्र है. यह साफ़ है कि मोदी सरकार देश के संघीय ढाँचे व लोकतांत्रिक व्यवस्था को ख़तम करके एक पार्टी व धर्म आधारित तानाशाही स्थापित करना चाहती है. लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान राज्य की जनता से अपील करती है कि 2024 लोकसभा चुनाव में इस तानाशाही मोदी सरकार और भाजपा को कड़ी हार दें और झारखंड, देश, लोकतंत्र और संविधान को बचाने में अपनी भूमिका निभाएं.
अभियान की ओर से:
अफ़जल अनीस, अंबिका यादव, अलोका कुजूर, भरत भूषण चौधरी, भाषण मानमी, दिनेश मुर्मू , एलिना होरो, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लालमोहन सिंह खेरवार, मेरी निशा हंसदा, मंथन, प्रवीर पीटर, पकू टुडु, रमेश जेराई, रेशमी देवी, सिराज दत्ता, टॉम कावला