रांची झारखण्ड विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवे दिन भी सदन के बाहर और सदन के अंदर जमकर हंगामा हुआ। हंगामा के केन्द्र बिन्दु में इरफान अंसारी का वो सदन में दिया गया कल का बयान था, जो उन्होंने आदिवासियों के खिलाफ दी थी । इरफान अंसारी को उस बयान की उनके ही पार्टी यानी कांग्रेस के लोगों ने भी कड़ी निन्दा की। निन्दा करनेवालों में कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडेय और शिल्पा नेहा तिर्की के नाम शामिल है।उधर सदन में भाजपा विधायकों द्वारा किये जा रहे हंगामा को देख स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो नाराज दीखे। भाजपा के बिरंची नारायण ने इरफान के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दरअसल यह घटना संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के सामने हुई, इसलिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। जिस पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि चूंकि इरफान अंसारी ने अपने बयान को लेकर माफी मांग ली है, उनके बयान को स्पंज भी करा दिया गया, ऐसे में अब इस मामले को तूल देना ठीक नहीं।आलमगीर आलम ने यह भी कहा कि गलती तो गलती होती है, वे भी इरफान के इस बयान पर सदन में माफी मांगते हैं। लेकिन संसदीय कार्य मंत्री द्वारा माफी मांग लिये जाने के बाद भी भाजपा विधायक शांत नहीं हुए । हंगामा जारी रहा, जिसको देखते हुए स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो ने सदन को भोजनावकाश तक के लिये स्थगित कर दिया। भोजनावकाश के बाद संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने झारखण्ड प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक 2023 को सदन के पटल पर रखा। जिस पर सत्तापक्ष को समर्थन दे रहे विधायकों के साथ- साथ विपक्षी विधायकों ने भी इसके अंदर उठाये गये कुछ बिन्दुओं पर आपत्ति दर्ज कराई और इसे काला कानून तक कह डाला। आजसू के लंबोदर महतो ने कहा कि इस विधेयक को प्रवर समिति को संप्रेषित कर देना चाहिए तथा समिति को 30 दिनों के अंदर इस पर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करना चाहिए। अमर बाउरी ने इस कानून को छात्रों को भयभीत करनेवाला बताते हुए कहा कि इसमें कुछ ऐसे सजा के प्रावधान है, जो मर्डर में भी नहीं होता। इसलिए इस विधेयक को ठीक करने की जरुरत हैं, नहीं तो यह विधेयक छात्रों को आत्महत्या कर देने पर मजबूर कर देगा।
अमित मंडल ने इस विधेयक की तुलना रोलैट एक्ट से कर दी, जबकि नवीन जायसवाल ने कहा कि अगर ये विधेयक पास हुआ तो झारखण्डी युवा सड़कों पर उतर जायेंगे। उधर आलमगीर आलम ने विधायकों के द्वारा उठाये गये कई मुद्दों पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह विधेयक झारखण्ड के युवाओं को अवसर देने, परीक्षाओं में जो गलत कार्य होते हैं, उस पर अंकुश लगाने के लिए है, यह एक सराहनीय कदम है।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में सिर्फ परीक्षा एजेंसियां ही शामिल नहीं बल्कि कोंचिग संस्थान भी शामिल हैं, जिन्हें दंडित किया जायेगा। प्रदीप यादव ने इस विधेयक में सजा के समय के प्रावधान को कम करने की बात उठाई, जिस पर सरकार ने विचार करने की बात कही। जिसके बाद यह विधेयक कई संशोधनों के साथ सदन से पास कर दिया गया।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इस विधेयक पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इस प्रकार का विधेयक सिर्फ झारखण्ड में नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी हैं। यह विधेयक बहुत सोच-विचार कर लाया गया है। हम यहां के बच्चों का भविष्य देख रहे हैं कि कैसे उनका भविष्य सुरक्षित हो। अगर इसमें कुछ गड़बड़ियां दिखेंगी तो उसे अगले सदन में बदलने का भी काम करेंगे, इस पर किसी को भयभीत होने की जरुरत नहीं ।